आजम खान के गढ़ में क्यों दिख रही बीजेपी ? रामपुर में आजम का दबदबा… अब बदल गई तस्वीर!
रामपुर लोकसभा सीट पर लंबे समय से बीजेपी और समाजवादी पार्टी में कड़ी टक्कर देखने को मिलती है। रामपुर लोकसभा सीट को वैसे तो सपा नेता आजम खान का गढ़ कहा जाता है, लेकिन इस बार जेल में होने के कारण वह इस सीट से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इस पर देखिए खास रिपोर्ट…
रामपुर लोकसभा सीट पर लंबे समय से बीजेपी और समाजवादी पार्टी में कड़ी टक्कर देखने को मिलती है। रामपुर लोकसभा सीट को वैसे तो सपा नेता आजम खान का गढ़ कहा जाता है, लेकिन इस बार जेल में होने के कारण वह इस सीट से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इस पर देखिए खास रिपोर्ट…
साल 2022 में रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी जीत दर्ज कर सपा के सबसे बड़े दुर्ग और आजम खान का गढ़ माने जाने वाले सीट पर अपना कब्जा जमा लिया था। अब इसी सीट को लेकर एक बार फिर समाजवादी पार्टी संकट में पड़ गई है। दरअसल, इस लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी ने कई सीटों पर अपने प्रत्याशी बदले और इसी अदला बदली ने रामपुर सीट पर रार करा दी है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि इस सीट को लेकर सपा के भीतर जबरदस्त गुटबाजी और खींचतान चल रही है।
ऐसे में जहां एक तरफ अखिलेश टेंशन में हैं तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी इस मौके का पूरा फायदा उठाने में लगी है। रामपुर को वैसे तो सपा नेता आजम खान का गढ़ कहा जाता है। लेकिन इस बार होने वाले चुनाव में आजम शामिल नहीं हो पाएगें क्योंकि फिलहाल वो जेल में हैं, हालांकि इस सीट पर आज भी आजम का सियासी वर्चस्व बरकरार है।
रामपुर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी घनश्याम लोधी और सपा प्रत्याशी मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। 2019 के आम चुनाव में यहां से आजम खान चुनाव जीते थे। लेकिन, बाद में उन्हें सजा होने के कारण उनकी सदस्यता चली गई और उपचुनाव में बीजेपी ने उनसे यह सीट छीन ली। इस चुनाव में घनश्याम लोधी सांसद चुने गए। बीजेपी ने इस बार भी घनश्याम को यहां से टिकट दिया है। बसपा ने जीशान खान को मैदान में उतारा है।
सपा ने आजम के समर्थन के बिना उतारा प्रत्याशी
बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव में इस सीट से आजम खान के समर्थन के बिना ही मोहिबुल्लाह नदवी को उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतार दिया है। जिससे इस लोकसभा सीट पर आजम खान के समर्थकों के तेवर बागी नजर आ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो आजम के समर्थन के बिना उम्मीदवार उतारने पर अखिलेश और आजम के बीच की कलह भी बढ़ रही है। वहीं आजम के करीबी भी इस सीट से मौजूदा सपा उम्मीदवार का विरोध कर रहे हैं। इतना ही नहीं चर्चा तो ये भी है कि रामपुर सीट पर आजम के समर्थक इस चुनाव में सपा नहीं बल्कि बसपा के उम्मीदवार जिशान खां के साथ जाते दिखाई दे रहे हैं। जिसका मतलब है कि अगर ऐसा होता है तो आने वाले चुनाव में रामपुर में मुस्लिम वोट बंट जाएगा और इसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिल सकता है।
बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग
वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने यहां अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। पार्टी ने इस सीट से अपने जिताऊ उम्मीदवार को ही मैदान में उतारा है। घनश्याम लोधी ने 2 साल पहले यानी 2022 के हुए उपचुनाव में इसी सीट पर शानदार जीत हासिल की थी। हालांकि, इस सीट पर 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी मुस्लिम मतदाता की हैं। यही कारण है कि बीजेपी की इस इलाके में सोशल इंजीनियरिंग हिंदुओं और अन्य जातियों के वोटों को मजबूत करना है। उम्मीदवार घनश्याम लोधी को उम्मीद है कि इस चुनाव में उन्हें लोध जैसी जातियां, राजपूत, कमेरा, सैनी, पाल, कश्यप, कुर्मी, जाटव और यहां तक कि यादव का समर्थन मिल जाएगा।
रामपुर में वोटों का गणित
इस क्षेत्र में मुसलमान वोटरों की आबादी 50।57 फीसदी है। वहीं लगभग 45।97% हिंदू हैं और 2।8 प्रतिशत वोटर सिख, 0।39% वोटर ईसाई और लगभग 13% वोटर अनुसूचित जाति के हैं। इसके अलावा इस सीट के लगभग 25।2 प्रतिशत लोग शहरी क्षेत्रों में रहते हैं, जबकि 74।8 फीसदी लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।
रामपुर सीट पर चुनाव परिणाम (2019)
इस सीट पर साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से उम्मीदवार आजम खां को 5लाख 59 हजार 117 वोट मिला था और इसी पार्टी की जीत भी हुई थी। जबकि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जयाप्रदा को 4लाख 49 हजार 180 मत मिले थे।
साल 2019 में कितने वोट पड़े
पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 16।68 लाख वोट पड़े थे। जिसमें से 8।41 लाख मुसलमान वोटर थे और 8।26 लाख हिंदू वोटर। मुस्लिम वोटर में सबसे ज्यादा रामपुर में मुस्लिम वोट तुर्क (1।45 लाख) और पठान (1।35 लाख) के वोट पड़े थे। जबकि हिंदू वोट में लोध वोटरों की संख्या 1।15 लाख थी। जबकि यादव (50 हजार), जाटव (1।5 लाख), सैनी (80 हजार), पाल (35 हजार), कश्यप (30 हजार) और 70 हजार कुर्मी वोटर थे।
रामपुर सीट पर आजम खान रामपुर से 10 बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं। इस सीट पर पिछले चार दशकों से आजम खान वर्चस्व रहा है, लेकिन साल 2019 के बाद भारतीय जनता पार्टी ने यहां काफी तेज से अपनी पकड़ मजबूत करनी शुरू कर दी और इस चुनाव में तो भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे बड़ा मौका इसलिए भी है क्योंकि इस बार आजम खान जेल में बंद हैं।