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आखिर क्यों साईं बाबा के मंदिर में होती है हनुमान जी की प्रतिमा, एक-दो नहीं 5 कनेक्शन के मिलते हैं सबूत!

कथाओं के अनुसार, साईं बाबा का परिवार बजरंगबली का भक्त था। वैसे इस बात की पुष्टि शशिकांत शांताराम गडकरी की पुस्तक 'सद्‍गुरु सांई दर्शन' में भी होती है।

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साईं बाबा को लेकर वाराणसी में उठे विवाद के बाद से एक बार फिर से देशभर से तमाम तरह के विवाद की खबरे सामने आने लगी हैं। कोई उन्हें अवतार कहता है, तो कोई साईं बाबा को संत, तो कोई फकीर। हाल ही कहा गया है कि साईं बाबा फकीर थे, इसलिए उनकी मूर्ति के समीप भगवान की प्रतिमा नहीं हो सकती है। इस सब के बीच ही ये पता चला कि साईं बाबा के हर मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थापित होती है। आखिर बजरंगबली और साईं बाबा का कनेक्शन क्या है, चलिए समझते हैं....

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शिरडी साईं बाबा की नगरी कही जाती है। शिरडी में सांई समाधि परिसर में ही बजरंगबली का मंदिर स्थापित है। यहां बजरंगबली की दक्षिणमुखी प्रतिमा विराजमान है। मान्यता कहती है कि साईं हनुमान जी के दर्शन के बाद ही अपना कोई कार्य शुरू करते थे और यही कारण है कि हर साईं मंदिर में हनुमान जी का मंदिर भी जरूर होता है।

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सांई बाबा के जन्मस्थली पाथरी में भी साईं मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में साईं के वो सारे ही सामान रखें हैं जिसे वो प्रयोग किया करते थे। जिसमें बर्तन, पुरानी वस्तुएं, घंटी और देवी-देवताओं की मूर्तियां भी शामिल हैं। इन मूर्तियों में हनुमान जी की एक मूर्ति है। ये मूर्ति बहुत पुरानी है। कई लोगों का मानना है कि साईं बाबा इन्हीं की पूजा किया करते थे।

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कथाओं के अनुसार, साईं बाबा का परिवार बजरंगबली का भक्त था। वैसे इस बात की पुष्टि शशिकांत शांताराम गडकरी की पुस्तक 'सद्‍गुरु सांई दर्शन' में भी होती है। साईं के पांच भाई  रघुपत भुसारी, दादा भूसारी, हरिबाबू भुसारी, अम्बादास भुसारी और बालवंत भुसारी थे। सांई, गंगाभाऊ और देवकी के तीसरे पुत्र थे। उनका नाम हरिबाबू भूसारी था। यही कारण है कि साईं भी बजरंगबली के भक्त थे।

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एक मान्यता ये भी है कि सांई बाबा के जन्मस्थली से कुछ दूर सांई बाबा का पारिवारिक मारुति मंदिर भी है। हम जानते हैं कि मारुति मतलब हनुमानजी। हनुमान जी को साईं के परिवार के कुल देवता के रूप में पूजा रहा है। ये मंदिर खेतों के बीच है और मंदिर में एक गोल पत्थर स्थापति है। हनुमानजी का ये प्रतिकात्मक प्रतिमा बताई जाती है। साथ ही पास में एक कुआं है। कहा जाता है यहीं पर साई स्नान कर मारुति का पूजन करते थे। सांई इसी हनुमान मंदिर में ही अपना समय व्यतीत करते थे।

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वैसे इन सब में सबसे बड़ा कनेक्शन ये माना जाता है कि सांई बाबा का जन्म भुसारी परिवार में हुआ था। उनके पारिवारिक देवता कुम्हार बावड़ी के श्री हनुमान ही थे और वे पाथरी के बाहरी इलाके में विराजते थे। कहा जाता है कि सांई अपने अंतिम समय में राम विजय प्रकरण कर ही प्राण त्यागे थे।