Trendingट्रेंडिंग
वेब स्टोरी

और देखें
वेब स्टोरी

'पतंजलि के दंत मंजन में होता है नॉनवेज का इस्तेमाल', आरोप लगाकार दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका, पढ़ें इस रिपोर्ट में-

पतंजलि के दिव्य दंत मंजन विवादों में है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कंपनी को नोटिस जारी किया है, क्योंकि दावा किया गया है कि इस मंजन में मांसाहारी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। क्या पतंजलि ने ब्रांडिंग के नाम पर लोगों को भ्रमित किया है? जानिए पूरी खबर। 

'पतंजलि के दंत मंजन में होता है नॉनवेज का इस्तेमाल', आरोप लगाकार दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका, पढ़ें इस रिपोर्ट में-

बाबा रामदेव की परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। पहले भ्रमित विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार झेलनी पड़ी तो अब दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि को तलब किया है। दरअसल, अदालत पतंजलि के दिव्य दंत मंजन को लेकर एक याचिका दायर कीगई है। जिसमें याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि इस प्रोडेक्ट में कंपनी ने मांसाहरी मटेरियल यूज किया है। याचिकाकर्ता का कहना है, मंजन में कंपनी मछली अर्क का इस्तेमाल करती है जो मांसाहरी है और इसे गलत तरीके से शाकाहरी रूप में ब्रांड में प्रयोग किया गया है। फिलहाल दिल्ली हाइकोर्ट ने बाब रामदेव-पतजंलि को नोटिस जारी कर जवाब मांग है। 

ये भी पढ़ें-

पतजंलि मंजन में मांसाहरी चीजों का इस्तेमाल 

जानकारी के अनुसार, याचिकाकर्ता एडवोकेट यतिन शर्मा ने दायर याचिक में कहा कि पतंजलि दिव्य दंत मंजन में ग्रीन बिंदु है। जिसका मतलब वेजेटेरियन होता है हालांकि जब पैकेजिंग में लिखी हुई जानकारी पढ़ें तो उससे साफ पता चलता है कि दंत मंजन में सीपिया ऑफिसिनेलिस यानी खारे पानी में रहने वाली कटलफिश के अर्क का इस्तेमाल किया गया है। जो मांसाहरी है। पतजंलि ने ब्राडिंग के नाम पर लोगों में भ्रम फैलाया है। दूसरी ओर जस्टिस संजीवन नरुला ने पतजंलि के अलावा केंद्र सरकार से भी इस मामले मे जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई कोर्ट 28 नवबंर को करेगा। 

लोगों को किया गया गुमराह 

याचिकाकर्ता का दावा है शाकाहरी के नाम पर मांसाहरी चीजों से बनकर तैयार दंत मंजन को मार्केट में बेचना,आम जनता की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ है। जो लोग धार्मिक विश्वास और अस्था को रखते हुए केवल शाकाहरी उत्पाद का सेवन करते हैं, उनकों गलत ब्राडिंग कर भ्रम में रखा गया। बता दें, बीते कुछ समय ये बाबा रामदेव के सितारे गर्दिश में चल रहे हैं। भ्रमित विज्ञापन में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें कड़ी फटकार लगी थी। इतना ही नहीं रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण ने अदालत में सबके सामने माफी मांगी थी।