कैसे भगवान ब्रह्मा ने बनाया ब्रह्मास्त्र, क्या है इसके पीछे की कहानी
ब्रह्मास्त्र, हिंदू धर्म में एक अत्यंत शक्तिशाली अस्त्र है, जिसे भगवान ब्रह्मा ने बनाया। इसका प्रभाव इतना विनाशकारी होता है कि एक बार इसे छोड़ने पर इसका लक्ष्य निश्चित रूप से समाप्त हो जाता है।
आज के समय में परमाणु हथियारों को सबसे विनाशकारी माना जाता है, लेकिन हिंदू धर्म में एक ऐसा अस्त्र है जिसे सर्वशक्तिशाली माना गया है—ब्रह्मास्त्र। मान्यता है कि इसे भगवान ब्रह्मा ने बनाया था, और इसका प्रभाव इतना जबरदस्त होता है कि यह एक बार छूटने पर अपने लक्ष्य को समाप्त कर देता है। इसे ब्रह्म दंड, भार्गवस्त्र, और ब्रह्मशिरास्त्र के नाम से भी जाना जाता है।
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क्यों किया गया ब्रह्मास्त्र का निर्माण
हिंदू धर्म के अनुसार, ब्रह्मास्त्र का निर्माण इसलिए किया गया ताकि मानवता संसार के नियमों का पालन करे। इसे चलाने के लिए विशेष मंत्रों की आवश्यकता होती है, और कहा जाता है कि इससे बचना अत्यंत कठिन है। एक बार छोड़ा गया ब्रह्मास्त्र केवल वही रोक सकता है, जो स्वयं ब्रह्मास्त्र हो।
कौन चला सकता है ब्रह्मास्त्र
बता दें कि इतिहास में कुछ ही लोग हैं जिन्होंने इस अस्त्र को चलाने की क्षमता प्राप्त की है। महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण, द्रोणाचार्य, अश्वत्थामा, कर्ण और युधिष्ठिर इसके ज्ञाता थे, जबकि रामायण में मेघनाद और लक्ष्मण भी इसको आसानी से चला सकते थे।
अश्वत्थामा ने किया था ब्रह्मास्त्र
एक प्रसिद्ध कथा में, जब पांडवों ने द्रोणाचार्य का वध किया, उनके बेटे अश्वत्थामा ने प्रतिशोध में पांडवों की संतान को समाप्त करने के लिए ब्रह्मास्त्र का उपयोग किया। भगवान कृष्ण ने पांडवों की रक्षा के लिए ब्रह्मास्त्र को अश्वत्थामा की ओर मोड़ दिया। इसके बाद, अश्वत्थामा ने इसे अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा की ओर प्रवाहित किया, जहाँ गर्भ में परीक्षित पल रहे थे।
भगवान कृष्ण ने की थी परिक्षित की रक्षा
भगवान कृष्ण ने तुरंत सूक्ष्म रूप धारण कर उत्तरा के गर्भ में प्रवेश किया और परीक्षित को सुरक्षित बचाया। इस प्रकार, ब्रह्मास्त्र की शक्ति और इसके प्रभाव के बारे में पुरानी कथाएँ आज भी हमें अद्भुतता और सावधानी से भर देती हैं।