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अपने आप में चमत्कारी है कृष्ण लला का राधा रमण मंदिर, अपने प्रियजनों के देख मुस्कुराते हैं लाला

वृन्दावन के बारे में कहा जाता है कि ये वो जगह है जो स्वर्ग से भी सुंदर है. आज भी बृज के हर कण में कन्हैया का निवास है. वृंदावन में भगवान कृष्ण के कई प्राचीन मंदिर हैं.

अपने आप में चमत्कारी है कृष्ण लला का राधा रमण मंदिर, अपने प्रियजनों के देख मुस्कुराते हैं लाला

वृन्दावन के बारे में कहा जाता है कि ये वो जगह है जो स्वर्ग से भी सुंदर है. आज भी बृज के हर कण में कन्हैया का निवास है. वृंदावन में भगवान कृष्ण के कई प्राचीन मंदिर हैं. इन्हीं में से एक है 500 साल से भी ज्यादा पुराना राधारमण मंदिर. ये वो मंदिर है जहां आज भी कृष्ण लला अपनी लीलाओं को अपने भक्तों को दिखाते हैं और तो और कई भक्तों का ऐसा भी मानना है कि भगवान कृष्ण की ये मूर्ति अपने प्रिय भक्त को देख के मुस्कुरा देती है. एक ही दिन में कई बार अलग अलग श्रृंगार कन्हैया का किया जाता है, कई बार आरती होती है. लेकिन भक्त बताते हैं कि हर बार इस मुर्ति के मुख के भाव अलग-अलग नजर आते हैं.

मंदिर का इतिहास
राधा रमण मंदिर का निर्माण गोस्वामी गोपाल भट्ट ने 1542 ईसा पूर्व में किया.

गोपाल भट्ट की हृदय वेदना प्रगट्यौ शालीग्राम
कहा जाता है कि गोपाल भट्ट गोस्वामी दक्षिण से वृंदावन पहुंचे थे. इससे पहले वो सनातन के प्रचार के लिए निकले थे. जब वो नेपाल पहुंचे तो यहां गंडकी नदी से शालिग्राम की 12 शिलाएं अपने साथ लेकर आए. एक बार उन्हें श्रीकृष्ण की मानव रूप में सेवा करने की इच्छा बनी. 1543 की वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को नरसिंह देव के प्राकट्य के दिन गोपाल भट्ट उन्हें पूरी रात देखते रहे और आंसू बहाते रहे. इसके बाद जब गोपाल भट्ट स्नान के लिए जा कर वापस आए तो उन्हें सारी शिलाएं मिलीं लेकिन एक दामोदर नाम की शिला नहीं मिली. शिला के स्थान पर उन्हें एक कपड़ा मिला. उन्हें लगा जैसे उस कपड़े के नीचे कोई सर्प है. लेकिन कहा जाता है कि जब गोपाल भट्ट ने कपड़ा हटाकर देखा तो शिला से भगवान कृष्ण की मूर्ति प्रकट हो चुकी थी. तभी से मंदिर में इस मूर्ति को विराजित किया गया. इस मंदिर से जुड़े लोगों का मानना है कि गोस्वामी गोपाल भट्ट की वेदना की वजह से ही भगवान कृष्ण शालिग्राम की शिला से मूर्ति रूप में प्रकट हुए.

500 साल पहले से जल रही आग
मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के रसोई घर में 500 साल से आग जल रही है, ये वही आग है जिसे मंदिर निर्माण के वक्त जलाया गया था. मंदिर में आज भी माचिस का प्रयोग नहीं किया जाता है. यहां आज भी अन्य कामों के लिए मंत्रों के जरिए अग्नि प्रज्ज्ववित की जाती है.
राधा रमण के मूर्ति की पीठ के पीछे से देखने पर ये शालिग्राम जैसे दिखाती है. मंदिर में स्थापित भगवान कृष्ण की मूर्ति स्वयं प्रगटी है. मंदिर में भगवान कृष्ण राधा रानी के साथ विराजमान हैं.