Trendingट्रेंडिंग
वेब स्टोरी

और देखें
वेब स्टोरी

छात्रा बनकर परीक्षा देने वाली वर्षा बिश्नोई गिरफ्तार, जानें कैसे डमी कैंडिडेट बनकर करती थी काम

वर्षा बिश्नोई, एक सरकारी टीचर, को एसआई भर्ती परीक्षा 2021 में डमी कैंडिडेट बनकर परीक्षा देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने उसे कोटा से पकड़ा, जहां वह नाम बदलकर रह रही थी। जांच में पता चला कि उसने अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी धोखाधड़ी की थी। 

छात्रा बनकर परीक्षा देने वाली वर्षा बिश्नोई गिरफ्तार, जानें कैसे डमी कैंडिडेट बनकर करती थी काम

एसआई भर्ती 2021 की परीक्षा में डमी कैंडिडेट बनकर बैठने वाली वर्षा बिश्नोई को पुलिस ने सोमवार, 7 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया। वर्षा, जो जालोर जिले के सांचौर के सरनाऊ गांव की निवासी है, एक सरकारी टीचर थी। उसे कोटा से गिरफ्तार किया गया है, जहां वह छात्रा के रूप में फरार थी और नाम बदलकर रह रही थी।

ये भी पढ़ें-

कैसे हुआ था वर्षा का खुलासा

गिरफ्तारी का यह मामला तब शुरू हुआ जब एसओजी ने मार्च 2024 में एसआई जगदीश सिहाग को गिरफ्तार किया। सिहाग की पूछताछ में वर्षा का नाम सामने आया। जांच में यह भी पाया गया कि वर्षा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी डमी कैंडिडेट के रूप में शामिल होती रही है और इसके लिए मोटी रकम वसूलती थी। इस मामले में वर्षा पर 25,000 रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था।

कैसे बनती थी डमी कैंडिडेट

वर्षा ने एसआई जगदीश सिहाग की बहनों इंदुबाला और भगवती के लिए डमी कैंडिडेट बनकर परीक्षा दी थी। वह दोनों बहनों के एडमिट कार्ड पर अपनी फोटो लगाकर परीक्षा में बैठी थी। वर्षा ने 13 सितंबर 2021 को इंदुबाला की जगह और 14 सितंबर 2021 को भगवती की जगह परीक्षा दी। दोनों ने परीक्षा में सफलता हासिल की, इंदुबाला को 1139वीं रैंक और भगवती को 239वीं रैंक मिली थी।

SOG ने वर्षा को पकड़ा

तीन महीने पहले एसओजी को वर्षा के बारे में सूचना मिली थी कि वह कोटा के जवाहर नगर क्षेत्र में एक रिटायर्ड बैंक मैनेजर के घर पर रह रही है। जब एसओजी ने उसे पकड़ने का प्रयास किया, तो उसने अपना नाम विमला बताया और फर्जी आधार कार्ड भी दिखाया। हालांकि, पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की, जिससे वह टूट गई और अपने असली अपराध को स्वीकार कर लिया।

अब वर्षा को एसओजी मुख्यालय जयपुर लाया जाएगा, जहां उससे आगे की पूछताछ की जाएगी। इस गिरफ्तारी ने न केवल एसआई भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी के एक और मामले को उजागर किया है, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी सवाल उठाया है।