राजस्थान में दूसरे चरण के प्रचार से क्यों दूर हैं कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता? क्या गहलोत, पायलट और डोटासरा दिखाएंगे कमाल
19 अप्रैल को राजस्थान में पहले चरण का चुनाव सकुशल सम्पन्न हुआ और अब बारी है दूसरे चरण की. इस चरण में राजस्थान में 13 सीटों पर चुनाव होना है. एक तरह बीजेपी जहां पीएम मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, कंगना रनौत जैसे स्टार प्रचारकों से चुनाव को धार दे रही है. वहीं दूसरी ओर इस चरण के चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस को स्थानीय नेताओं से ही काम चलाना पड़ रहा है.
19 अप्रैल को राजस्थान में पहले चरण का चुनाव सकुशल सम्पन्न हुआ और अब बारी है दूसरे चरण की. इस चरण में राजस्थान में 13 सीटों पर चुनाव होना है. एक तरह बीजेपी जहां पीएम मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, कंगना रनौत जैसे स्टार प्रचारकों से चुनाव को धार दे रही है. वहीं दूसरी ओर इस चरण के चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस को स्थानीय नेताओं से ही काम चलाना पड़ रहा है. दरसल राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी राजस्थान में दूसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार करने नहीं आ रहे हैं. इन तीनों का ही दूसरे चरण में राजस्थान का कोई कार्यक्रम जारी नहीं हुआ. कांग्रेस की ओर से कोशिश है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की एक सभा आयोजित हो. लेकिन परिस्थितियां ऐसी हैं कि 13 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को स्थानीय नेताओं के भरोसे ही काम चलाना होगा.
प्रचार के लिए बचे हैं केवल तीन दिन
राजस्थान में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरों में से एक सचिन पायलट दो दिन के केरल दौरे पर हैं, अशोक गहलोत का पूरा फोकस बेटे वैभव गहलोत की जालौर सिरोही की सीट पर है. ऐसे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ही ऐसे नेता हैं जो सभी सीटों पर जाकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं. हालांकि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अशोक गहलोत, सचिन पायलट के कुछ कार्यक्रम इन 13 लोकसभा सीटों पर हैं. फिर भी तीन दिनों में सभी 13 सीटों पर पहुंच पाना बेहद मुश्किल है.
राजस्थान में क्यों रुचि नहीं ले रहे स्टार प्रचारकपहले चरण की अगर बात करें तो इसमें भी राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी का राजस्थान में एक ही कार्यक्रम हुआ. जबकि कांग्रेस के कई स्टार प्रचारकों ने राजस्थान से दूरी ही बनाए रखी. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के प्रत्याशी मानते हैं कि स्टार प्रचारकों के न आने से उन्हें नुक़सान हो सकता है, क्योंकि सामने बीजेपी के दिग्गज नेताओं का धुआंधार प्रचार एक बड़ी चुनौती है.