काशी विश्वनाथ धाम में बनेगा शास्त्र सम्मत प्रसाद, अमूल को मिली जिम्मेदारी
वाराणसी के काशी विश्वनाथ धाम में अब भक्तों को शुद्ध मंदिर परिसर में बना हुआ प्रसादम् मिलेगा। शास्त्रों के अनुसार तैयार इस प्रसादम् में चावल का आटा, बेलपत्र, काली मिर्च, लौंग, और देसी घी का उपयोग किया गया है। अमूल कंपनी को प्रसाद की तैयारी की जिम्मेदारी दी गई है।
वाराणसी के काशी विश्वनाथ धाम में आज से प्रसादम् की बिक्री में बड़ा बदलाव किया गया है। अब मंदिर का अपना तैयार किया हुआ प्रसादम् ही भक्तों को मिलेगा। विजयदशमी के दिन बाबा विश्वनाथ को इस नए प्रसादम् का पहला चढ़ावा चढ़ाया गया। इसके बाद से भक्त मंदिर परिसर में बने काउंटर से इसे खरीद सकेंगे। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य प्रसाद की गुणवत्ता में सुधार लाना और बाहरी मिलावट से बचाव करना है।
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मंदिर प्रशासन ने यह फैसला श्री तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम् की गुणवत्ता और मिलावट के मामलों को ध्यान में रखते हुए लिया। अब प्रसादम् मंदिर परिसर में ही बनेगा और वहीं से बिकेगा।
शास्त्रों के आधार पर तय हुआ नया प्रसादम्,
मंदिर के सीईओ विश्वभूषण मिश्रा ने बताया कि विद्वानों की टीम ने पुराणों और शास्त्रों का गहन अध्ययन करने के बाद नए प्रसादम् का स्वरूप तय किया है। शिव पुराण समेत कई धार्मिक ग्रंथों के आधार पर प्रसादम् की रेसिपी फाइनल की गई है। इसमें चावल के आटे, बेलपत्र के चूर्ण, काली मिर्च, लौंग, और देसी घी का उपयोग किया गया है। प्रसादम् की विशेषता यह है कि बाबा पर चढ़ाए गए बेलपत्र का भी इसमें मिश्रण किया गया है, जिससे इसका रंग हरे रंग का होता है।
अमूल को मिली जिम्मेदारी
प्रसादम् के उत्पादन और प्रचार की जिम्मेदारी अमूल को सौंपी गई है। कंपनी ने नियमानुसार 10 दिनों का प्रसादम् तैयार कर लिया है, जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंजूरी मिल चुकी है। इस प्रसादम् को बनाने के लिए लगभग 40 से 50 सैंपल तैयार किए गए थे, जिनकी कड़ी जांच के बाद इसे फाइनल किया गया।
कीमत में कोई बदलाव नहीं
प्रसादम् की कीमत में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है। भक्त 100 ग्राम प्रसाद के लिए 50 रुपये और 200 ग्राम प्रसाद के लिए 100 रुपये चुकाकर इसे प्राप्त कर सकते हैं।