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डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल सिंह पंजाब के खडूर साहिब से लड़ेगा चुनाव, मां ने बताई सारी बात

जेल में बंद कट्टरपंथी सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह पंजाब की खडूर साहिब सीट से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, उनके वकील ने बुधवार को दावा किया. वर्तमान में, अमृतपाल सिंह, जो खालिस्तान समर्थक संगठन 'वारिस पंजाब दे' का प्रमुख भी है, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत असम के डिब्रूगढ़ केंद्रीय जेल में बंद है.

जेल में बंद कट्टरपंथी सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह पंजाब की खडूर साहिब सीट से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, उनके वकील ने बुधवार को दावा किया. वर्तमान में, अमृतपाल सिंह, जो खालिस्तान समर्थक संगठन 'वारिस पंजाब दे' का प्रमुख भी है, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत असम के डिब्रूगढ़ केंद्रीय जेल में बंद है.

अमृतपाल के लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चाओं पर पिता तरसेम सिंह ने प्रतिक्रिया दी है. अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह ने कहा कि बेटे के चुनाव लड़ने पर फिलहाल फैसला नहीं हुआ है. तरसेम सिंह का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के चुनाव लड़ने की चर्चाओं पर अटकलों का बाजार गर्म है.

र्निदलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ेगा चुनाव

अमृतपाल सिंह के अधिवक्ता राजदेव सिंह खालसा ने दावा किया कि भाई साहब ने पंथ के हित में मेरा अनुरोध स्वीकार कर लिया... वह एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे. दरअसल ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह को पिछले साल अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था और उसके खिलाफ सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाया गया था. अमृतपाल सिंह अपने नौ सहयोगियों के साथ फिलहाल असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है.

क्या जेल से लड़ सकते हैं चुनाव?

अगर कोई व्यक्ति जेल में बंद है या न्यायिक हिरासत में है, तो उसके चुनाव लड़ने पर तब तक रोक नहीं है, जब तक उसे किसी मामले में दोषी करार न दिया गया हो. दोषी करार दिए जाने के बाद भी अगर सजा दो साल से कम है तो चुनाव लड़ा जा सकता है. हालांकि, पहले ऐसा नहीं था. इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने फैसला दिया था. पटना हाईकोर्ट ने जेल में बंद किसी भी व्यक्ति के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि जब जेल में बंद व्यक्ति को वोट देने का अधिकार नहीं है, तो चुनाव कैसे लड़ने दिया जा सकता है. बाद में 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले पर मुहर लगा दी थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने जनप्रतिनिधि कानून में संशोधन किया था. संशोधन के बाद जेल में बंद व्यक्ति को चुनाव लड़ने की अनुमति मिल गई थी. हालांकि, वोट डालने का अधिकार अभी भी नहीं मिला. जनप्रतिनिधि कानून में हुए इस संशोधन को पहले दिल्ली हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई थी. दिसंबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि एफआईआर दर्ज होने और जेल में बंद होने के आधार पर किसी व्यक्ति को चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता. अगर किसी व्यक्ति को दोषी ठहराया गया हो और सजा का ऐलान भी हो चुका हो, तो चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जा सकती है.

जेल में बंद व्यक्ति वोट दे सकता है?

जनप्रतिनिधि कानून के तहत, जेल या न्यायिक हिरासत में बंद व्यक्ति को वोट डालने का अधिकार नहीं है. जनप्रतिनिधि कानून की धारा 62(5) के अनुसार, जेल में बंद कोई भी व्यक्ति वोट नहीं डाल सकता, फिर चाहे वो हिरासत में हो या सजा काट रहा हो.

अमृत ​​पाल सिंह ने पिछले साल फरवरी में तब ध्यान आकर्षित किया था, जब उनके समर्थकों ने अमृतसर के अजनाला पुलिस स्टेशन को घेर लिया था। सिंह के करीबी सहयोगी लवप्रीत तूफान को अपहरण और मारपीट से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। 16 फरवरी को वीरेंद्र सिंह नाम के शख्स ने अमृतपाल और उसके कुछ साथियों के खिलाफ केस दर्ज कराया था. इस मामले के बाद पुलिस ने लवप्रीत सिंह उर्फ ​​तूफान को गुरदासपुर से गिरफ्तार कर लिया. इस गिरफ़्तारी से घबराये अमृत पाल ने प्रशासन को खुलेआम धमकी देना शुरू कर दिया। उन्होंने पुलिस को अल्टीमेटम दिया कि अगर उनके साथी को नहीं छोड़ा गया तो वह अपने समर्थकों के साथ थाने का घेराव करेंगे.

वह 23 फरवरी, 2023 का दिन था जब अमृतपाल सिंह के हजारों समर्थक बंदूकों, तलवारों और लाठियों से लैस होकर अजनाला में एकत्र हुए। इन सभी ने पुलिस अधिकारियों पर हमला करने के आरोप में अमृतपाल के करीबी लवप्रीत तूफान की गिरफ्तारी का विरोध किया. तूफ़ान को छुड़ाने के लिए जेल तोड़ने वाले टकराव के दौरान कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।