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पिछले तीन चुनाव के मुकाबले वोटिंग कम, किसको मिलेगा फायदा, किसका होगा नुकसान

लोकसभा चुनाव के दो चरणों का मतदान पूरा हो चुका है. दो चरणों में लोकसभा की 190 सीटों में वोटिंग पूरी हो चुकी है. पिछले तीन चुनावों की तुलना में इस बार कम लोगों ने अपने घर से बाहर निकल वोट डाला है. 

पिछले तीन चुनाव के मुकाबले वोटिंग कम, किसको मिलेगा फायदा, किसका होगा नुकसान

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में शुक्रवार को 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 88 सीटों पर मतदान की प्रक्रिया पूरी हो गई. दूसरे चरण में वोटिंग फीसदी का हाल पहले चरण के चुनाव से बुरा रहा. दूसरे चरण में कुल 63 फीसदी मतदान हुआ. जो 2019 के लोकसभा चुनाव से कम है, पिछली बार इन्ही सीटों 70 फीसदी ज्यादा लोगों ने घरों से निकल कर मतदान किया था. कम वोटिंग फीसदी ने सभी पार्टियों और राजनीतिक गुरूओं के गणित को बिगाड़ दिया है. 

पहले चरण में 102 सीटों में महज 64 फीसदी मतदान हुआ था. जबिक 2019 लोकसभा चुनाव में इन सीटों में 70 फीसदी मतदना हुआ था. अब ये कम वोटिंग ट्रेड को किसको फायदा देंगे और किसको नुकसान आइए समझते हैं. 

कम वोटिंग होने से चुनाव आयोग में भी चिंता 

दोनों चरणों में कम वोटिंग होने से राजनीतिक दलों के साथ चुनाव आयोग की चिंता को भी बढ़ा दिया है. खासकर हिंदी भाषा पट्टी राज्यों में चुनाव को लेकर मतदाताओं में निराशा देखने को मिल रही हैं. जबकि साल 2014 और 2019 लोकसभा चुनावों में मतदाताओं के भीरत काफी जोश देखने को मिला था, लेकिन इस चुनाव में वो जोश मतदाताओं के बीच देखने को नहीं मिल रहा है. 

कम वोटिंग ट्रेंड से किसको होगा फायदा ?

पिछले 12 चुनावों में नजर डाले तो उनमें से 5 चुनावों में कम वोटिंग हुई है. 5 चुनावों में 4 बार सरकार बदल गई है. 1980 लोकसभा चुनाव में कम वोटिंग हुई तो जनता दल की सरकार बदल कर कांग्रेस की सरकार बन गई. वहीं, 1989 में मत प्रतिशत गिरने से कांग्रेस की सरकार चली गयी. केंद्र में  बीपी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी. 1991 में भी मतदान में गिरावट के बाद केंद्र में कांग्रेस की वापसी हुई. हालांकि 1999 में वोटिंग प्रतिशत में गिरावट के बाद भी सत्ता नहीं बदली. वहीं 2004 में एक बार फिर मतदान में गिरावट का फायदा विपक्षी दलों को मिला.   

 

कम वोटिंग का कम मार्जिन वाली सीटों पर होगा असर   

कम वोटिंग का असर सीधे कम मार्जिन वाली सीटों पर देखने को मिलता है. 2019 लोकसभा चुनाव में 75 सीटें ऐसी थी जिनमें हार जीत का मार्जिन बहुत कम था. ऐसे में इन सीटों में कौन भारी पड़ेगा कहे पाना बहुत मुश्किल है जानकारों का कहना है कि कम मतदान से सत्ताधारी दलों को फायदा हो सकता है, क्योंकि लोगों की सोच होती है कि सरकार अच्छा काम कर रही है और वो बदलाव नहीं चाहते. इसीलिए वो वोट के लिए घर से बाहर नहीं निकलते..

यूपी में कम वोटिंग

लोकसभा में सबसे ज्यादा सीटें उत्तर प्रदेश से आती है. जहां कुल 80 लोकसभा सीटें है. लेकिन इस चुनाव में यूपी के मतदाताओं के बीच उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है. पहले चरण में मजह 57 फीसदी वोटिंग हुई थी. वहीं दूसरे चरण में महज 54.8 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. जानकारों का मानना है कि किसके पक्ष में ज्यादा वोट गया है ये इस इस ट्रेंड से निकालना काफी मुश्किल है.