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Sharda Sinha Death: जब सास ने दिये ताने, गाने पर लगा दी पाबंदी, इस तरह लोक गीतों की मल्लिका बनीं शारदा सिन्हा

छठ पूजा के लोकगीतों की मशहूर गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया। 72 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। समाज के दबाव और अपनी सास की पाबंदी के बावजूद, शारदा सिन्हा ने अपनी आवाज के जादू से देश को छठ के लोकगीतों से जोड़ा।

Sharda Sinha Death: जब सास ने दिये ताने, गाने पर लगा दी पाबंदी, इस तरह लोक गीतों की मल्लिका बनीं शारदा सिन्हा

बिहार से लेकर यूपी तक हर घाट पर छठ की धूम है लेकिन इसी बीच छठ के लोकगीतों को घर-घर पहुंचने वाली लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया। उन्होंने 72 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स अस्पताल में आखिरी सांस ली। वह पिछले 11 दिनों से जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही थीं। पीएम मोदी से लेकर सीएम नीतीश कुमार ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। आज जो पहचान उनको मिली है उसे पाने के लिए शारदा सिन्हा ने खूब संघर्ष किए हैं।

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जब सास ने लगाई थी गाने पर पाबंदी

शारदा सिन्हा को बचपन से गाना पसंद था। वह संगीत में अपनी गहरी रुचि रखती थी जिसे देखकर उनके पिता ने भारतीय नृत्य कला केंद्र में उन्हें दाखिला दिलवाया हालांकि उम्र के साथ उनकी शादी हो गई। ‌ शादी और जिम्मेदारियों के बीच भी उन्होंने अपनी पहचान नहीं खोई और लोकगीत गाती रहीं। इस सफर में शारदा को पति और ससुर का बहुत साथ मिला लेकिन उनकी सास को यह सब पसंद नहीं था एक वक्त ऐसा भी आया जब शारदा की सास ने उनके गाने पर पाबंदी लगा दी। 

2 दिन तक शारदा ने नहीं खाया खाना 

समाज और लोकलाज के डर से शारदा सिन्हा की सास उन्हें गाना गाने से रोकती थी। यहां तक बात एक बार इतनी ज्यादा बिगड़ गई कि उनकी सास ने डांट तक लगा दी थी। दरअसल, शारदा ठाकुर बाड़ी में भजन गा रही थीं इसी दौरान उनकी सास ने डांटे हुए कहा था हमारे घर की बहू बेटियां बाहर जाकर गाना बजाना नहीं करती और तुम भी नहीं करोगी। इस बात का शारदा सिन्हा को बहुत बुरा लगा और उन्होंने दो दिन तक खाना नहीं खाया। 

1971 से मिलने शुरू हुई पहचान 

परिवार और सास के तानों के बाद भी शारदा सिन्हा पीछे नहीं हटी और उन्होंने गाना जारी रखा। नतीजन, 1971 में किसी तरह शारदा सिन्हा लखनऊ में आयोजित एचएमवी की प्रतिभा खोज प्रतियोगिता में पहुंची और ऑडिशन दिया। ‌उनकी आवाज इतनी मधुर थी कि सभी अधिकारी हैरान रह गए और उन्होंने तुरंत गाना रिकॉर्ड करने का फैसला लिया। इसके बाद शारदा सिन्हा ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह सफलता की सीधी चढ़ती गईं।