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दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा IVF का चलन ! जानें भारत में कितना आता है खर्चा

IVF treatment in India: बढ़ती उम्र और करियर की प्राथमिकताओं के बीच बांझपन की समस्या बढ़ती जा रही है। आईवीएफ तकनीक एक विकल्प बनकर उभरी है, जिससे कई कपल्स माता-पिता बनने का सपना पूरा कर रहे हैं। जानें आईवीएफ प्रक्रिया, खर्चा, और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी।

दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा IVF का चलन ! जानें  भारत में कितना आता है खर्चा

आजकल करियर और बिजी लाइफ के बीच लोग जल्दी शादी करने से कतराते हैं। यही वजह है कि अब बढ़ती उम्र में शादी करने वाली की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। शादी का एक पड़ाव बेबी प्लानिंग भी है लेकिन इस वक्त बांझपन की समस्या बेहद आम हो गई है। कई शोधों में दावा किया गया कि हर 6 में 1 कपल इंफर्टिलिटी की दिक्कत से जूझ रहा है। यानी वह नेचुरल प्रोसेस की तहत बच्चा कंसीव नहीं कर पा रहे हैं। भारत की बात करें तो वैसे तो हम दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश है लेकिन कई रिपोर्ट्स बताती है कि भविष्य में देश की आबादी तेजी से घटेगी। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 1950 में जो प्रजनन दर 6.2 फीसदी थी वह 2021 में 2 फीसदी पहुंच गई है। वहीं 2050 तक ये 1.3 प्रतिशत रह जायेगी। जिससे देश की आबादी पर बुरा असर पड़ेगा और समय के साथ आईवीएफ सेंटर की मांग भी बढ़ती चली जाएगी।  

दुनियाभर में चलन में IVF प्रेगनेंसी 

जब लोग नेचुरली कंसीव नहीं कर पाते हैं तो वह आईवीएफ तकनीक का सहारा लेते हैं। बीते कुछ समय में दुनियाभर में आईवीएफ सेंटर्स की बाढ़ सी आ गई है। यही कारण है नेचुलर वे से माता-पिता न बन पाने पर कपल आईवीएफ तकनीक के जरिए बच्चे को जन्म दे रहे हैं। 

क्या है आईवीएफ तकनीक 

आईवीएफ तकनीक के तहत महिला के अंडे को पुरुष स्पर्म से लैब में फर्टलाइज किया जाता है। ये प्रक्रिया कई चरणों में की जाती है ताकि भ्रूण पूरी तरह से विकसित हो जाए। जब भ्रूण फर्टिलाइज होता है तो इसे प्रोसेस के तहत महिला के गर्भाश्य में स्थानांतरित किया जाता है। इस प्रक्रिया से पहले महिला-पुरुष दोनों के कई टेस्ट किये जाते हैं। जिसके बाद ही आईवीएफ प्रोसेस शुरू होता है। 

किसे है आईवीएफ तकनीक लेने का सहारा 

आईवीएफ तकनीक का सहारा भारत में कोई भी कपल ले सकता है। जो कपल नेचुरल प्रोसेस की तरह माता-पिता बनने में अक्षम है वह इस तकनीक का सहारा लेते हैं। हालांकि इसके उन्हें लीग फॉर्मेलिटीज पूरी करनी होती है। जिसके बाद वह इस प्रोसेस को शुरू कर सकते हैं। वहीं इस प्रोसेस की बात करें तो ये लगभग 2-3 हफ्तों में पूरा हो जाता है। फिर फर्टिलाइज अंडों को गर्भ में ट्रांसफर किया जाता है। वहीं इस प्रक्रिया के 2-3 हफ्तो बाद चेक किया जाता है कि महिला प्रेगनेंट है या नहीं। 

IVF में आने वाला खर्चा 

IVF में ट्रीटमेंट के हिसाब से खर्चा अलग-अलग होता है। हालांकि ये एक तरह से ज्यादा खर्चीला ट्रीटमेंट माना जाता है। जहां इस्तेमाल किये जाने वाले इंजेक्शन काफी महंगे आते है। आईवीएफ तकनीक में 1-3 लाख रुपये तक का खर्चा आता है। वहीं आंकड़ों पर नजर डाले तो भारत में इंफर्टिलिटी की समस्या तेजी से बढ़ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लगभग 3.5 करोड़ लोग इससे जूझ रहे हैं। इनमें लगभग 2 फीसदी लोग ही इलाज कराने में सक्षम हैं। अनुमान है आने वाले समय में आईवीएफ तकनीक का सहारा लेने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी।