मध्यप्रदेश की आधी से ज्यादा सीटों पर मुस्लिम वोटर्स का प्रभाव, फिर भी बीजेपी-कांग्रेस ने नहीं उतारा मुस्लिम प्रत्याशी
देशभर में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. एमपी में 29 लोकसभा सीटों से आधी सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है. कई विधानसभाएं ऐसी हैं, जिनमें जीत या हार का निर्णय मुस्लिम समुदाय से ही होता है.
देशभर में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. एमपी में 29 लोकसभा सीटों से आधी सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है. कई विधानसभाएं ऐसी हैं, जिनमें जीत या हार का निर्णय मुस्लिम समुदाय से ही होता है. ऐसी स्थिति के बावजूद न तो बीजेपी ने कोई प्रयास किया और न कांग्रेस ने, दोनों ने ही किसी भी मुस्लिम चेहरे को इन सीटों से नहीं उतारा. ऐसे में हालात यही इशारा करते हें कि मुस्लिम समुदाय का वोट न तो स्थिर है और न संगठित.
वर्तमान समय में मध्य प्रदेश की आबादी 8.77 करोड़ है. इसमें 6.57 प्रतिशत मुस्लिम (60लाख) हैं, इनमें करीब 50 लाख मतदाता हैं. यहां 230 विधानसभा में से 45 विधानसभा ऐसी हैं, जहां 20 हजार से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं. मध्य प्रदेश में 70 से अधिक ऐसे क्षेत्र हैं, जहां विधानसभा में 57 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं. प्रदेश में मुस्लिम बाहुल्य कही जाने वाली 33 सीटों पर मुस्लिम वोट 15 लाख है, जो कुल वोटर का 1 से 2 प्रतिशत है.
मध्य प्रदेश के 50 लाख से ज्यादा मुस्लिम मतदाताओं का 70 से 72 प्रतिशत वोट इंदौर और उज्जैन संभाग में है. जिसमें इंदौर संभाग की इंदौर एक और इंदौर पांच, महू, राऊ, धार, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर विधानसभा शामिल हैं. वहीं उज्जैन संभाग के उज्जैन, मंदसौर, नीमच, रतलाम, जावरा, शाजापुर, शुजालपुर, आगर मालवा विधानसभा मुस्लिम बहुल सीटों में हैं. लिहाजा प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों का बड़ा हिस्सा मुस्लिम समुदाय के वोट से प्रभावित होने वाला है.