भोपाल में किसकी होगी नैया पार? झीलों की नगरी में क्या फिर खिलेगा कमल? कमलनाथ '29 कमल' खिलने से रोक पाएंगे?
देश के दिल भोपाल को जीतने के लिए बीजेपी कांग्रेस जी जान से जुटी है. 2019 में यही भोपाल सीट थी जिस पर देश भर की नजरें उस वक्त टिक गई थीं, जब बीजेपी ने मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को दिग्विजय सिंह के सामने उतारकर भगवा आतंकवाद के मुद्दे को गहरा दिया था. लेकिन विवादित बयानों के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का टिकट काटकर बीजेपी ने भोपाल से 2 बार विधानसभा चुनाव हारे पूर्व मेयर आलोक शर्मा पर दांव खेला है तो 35 साल से बीजेपी के गढ़ पर कब्जा जमाने कांग्रेस ने भोपाल ग्रामीण अध्यक्ष अरुण श्रीवास्तव को कमान सौपी है.
देश के दिल भोपाल को जीतने के लिए बीजेपी कांग्रेस जी जान से जुटी है. 2019 में यही भोपाल सीट थी जिस पर देश भर की नजरें उस वक्त टिक गई थीं, जब बीजेपी ने मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को दिग्विजय सिंह के सामने उतारकर भगवा आतंकवाद के मुद्दे को गहरा दिया था. लेकिन विवादित बयानों के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का टिकट काटकर बीजेपी ने भोपाल से 2 बार विधानसभा चुनाव हारे पूर्व मेयर आलोक शर्मा पर दांव खेला है तो 35 साल से बीजेपी के गढ़ पर कब्जा जमाने कांग्रेस ने भोपाल ग्रामीण अध्यक्ष अरुण श्रीवास्तव को कमान सौपी है.
मैमूना सुल्तान से लेकर पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल, पूर्व सीएम उमा भारती, कैलाश जोशी को संसद तक पहुँचाने वाली ये सीट बीजेपी का अभेद किला मानी जाती है. जिसे भेदने की कोशिश में पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी से लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी हार का मुंह देख चुके हैं.
जातिगत समीकरण तय करेंगे चुनाव के नतीजे
भोपाल शहर में करीब 56 फीसदी हिंदू और 40 फीसदी मुस्लिम आबादी के चलते धार्मिक जातिगत समीकरण ही चुनाव के नतीजे तय करते हें जैसा कि 2023 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला भोपाल की 8 सीटों में से 6 पर बीजेपी, जबकि 2 सीटें मुस्लिम विधायक आरिफ मसूद, आतिफ अकील के खाते में गईं.
भोपाल लोकसभा सीट बीजेपी गढ़
भोपाल सीट पर 1952 से अब तक 6 बार कांग्रेस, 1 बार भारतीय जनसंघ, 10 बार बीजेपी जीती, लेकिन 1989 से पहले तक कांग्रेस की मजबूत सीट बीजेपी के सुशील चंद्र वर्मा की 4 बार जीत के बाद यानि 35 साल से बीजेपी का गढ़ बनी है, इस बीच बीजेपी ने 2014 में फिर से बीजेपी ने कायस्थ कार्ड खेलकर आलोक संजर को मैदान में उतारकर कायस्थ वोट बैंक को अपने पाले में कर लिया था. भोपाल में बैरसिया, भोपाल उत्तर, नरेला, भोपाल दक्षिण पश्चिम, भोपाल मध्य, गोविंदपुरा और हुजूर पर बीजेपी का कब्जा है. जबकि, भोपाल उत्तर और भोपाल मध्य पर कांग्रेस का कब्जा है.
भोपाल का जाति समीकरण
मुस्लिम वोटर |
5 लाख |
ब्राह्मण वोटर |
3.50 लाख |
कायस्थ वोटर |
2.50 लाख |
क्षत्रिय वोटर |
1.50 लाख से ज्यादा |
ओबीसी |
8 लाख से ज्यादा |
एससी-एसटी |
8 लाख से ज्यादा |
कुल वोटर |
24 लाख से ज्यादा |
भोपाल सीट पर करीब 24 लाख से अधिक वोटर हैं, जिनमें 11 लाख पुरुष, 10 लाख महिलाएं है, इन्हीं में 5 लाख के करीब मुस्लिम वोटर हैं जो कांग्रेस का कोर वोट बैंक है. तो ढाई लाख से ज्यादा कायस्थ वोटर के भरोसे कांग्रेस ने ग्रामीण जिला कांग्रेस के अध्यक्ष अरुण श्रीवास्तव पर दांव खेला है दूसरी तरफ बीजेपी के पूर्व महापौर आलोक शर्मा 3.50 लाख से ज्यादा ब्राह्मण वोटर के भरोसे हैं, बचे करीब डेढ़ लाख क्षत्रिय मतदाता और करीब 8 लाख ओबीसी, एससी-एसटी, सिंधी वोटर को दोनों दल अपने पाले में लाने की कोशिश में जुटे हैं.
वही भोपाल लोकसभा सीट सालों से भाजपा के कब्जे में हैं. इसे अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस कई बड़े दिग्गज नेताओं को यहां से चुनाव लड़ा चुकी है.लेकिन उन्हें अभी तक सफलता हासिल नहीं हुई है. भोपाल के चुनावी मुद्दे को लेकर कांग्रेस सरकार को घेर रही है.
भोपाल के चुनावी मुद्दे
बेरोजगारी
महंगाई
ग्रामीण इलाकों में जल संकट
भोपाल से सटे आसपास के इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी
भोपाल में 400 अवैध कालोनियों पर रोक
भोपाल की संसदीय जीतने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है. 24 अप्रैल बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा प्रत्याशी आलोक शर्मा के समर्थन में रोड शो किया. इधर कांग्रेस की बात करें तो अब तक एक भी स्टारक प्रचारक मैदान में नहीं दिखा है न कांग्रेस नेता राहुल गांधी की कोई सभा व रोड शो हुआ है और न ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी आई हैं.