आपातकाल के 50 साल, पूरे देश ने 21 महीने झेली सजा, रायबरेली से है बड़ा कनेक्शन !
25 जून, वो तारीख जिसका दर्द आज तक देशवासियों के दिलों में जिंदा है. भारतीय इतिहास का काला दिन 25 जून 1975. भारत के इतिहास की वो तारीख जिसे इतिहास का काला दिन कहा जाता है.
25 जून, वो तारीख जिसका दर्द आज तक देशवासियों के दिलों में जिंदा है. भारतीय इतिहास का काला दिन 25 जून 1975. भारत के इतिहास की वो तारीख जिसे इतिहास का काला दिन कहा जाता है. आपातकाल के वक्त जहां विपक्ष के नेताओं को जेलों में भरा गया वहीं भारत के नागरिकों के मूल अधिकार तक छीन लिए गए. जानकार बताते हैं कि देश में आपातकाल का लगना एक मुकदमे से जुड़ा हुआ था. मुकदमा उस सीट से जुड़ा जिसे कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था यानि कि रायबरेली.
राज नारायण बनाम इंदिरा नेहरू गांधी
रायबरेली का ये मुकदमा था राज नारायण बनाम इंदिरा नेहरू गांधी. 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस (आर) ने 352 सीटें हासिल की थीं. पार्टी का नेतृत्व कर रही थीं इंदिरा गांधी. इंदिरा गांधी अपनी परम्परागत सीट रायबरेली से बड़े अंतर से जीतीं थीं. इस सीट पर उनकी टक्कर थी विपक्षी महागठबंधन के प्रत्याशी दिग्गज समाजवादी नेता राज नारायण से. 7 मार्च 1971 को लोकसभा चुनाव के लिए रायबरेली सीट पर मतदान हुआ और 9 मार्च 1971 से मतगणना शुरू हुई. इसके बाद 10 मार्च को नतीजे घोषित किए गए. नतीजों में इंदिरा को 1,83,309 और राजनारायण को 71,499 वोट हासिल हुए थे. वहीं राजनारायण ने नतीजे स्वीकार न करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में इंदिरा गांधी का निर्वाचन रद्द करने के लिए नियत अवधि की आखिरी तारीख 24 अप्रैल 1971 को चुनाव याचिका पेश कर दी.
इंदिरा गांधी के खिलाफ आया फैसला
12 जून 1975 को जस्टिस सिन्हा कोर्ट में मौजूद थे. मामले को लेकर 258 पेज के फैसले में इंदिरा गांधी का रायबरेली से निर्वाचन दो बिंदुओं पर अवैध और शून्य घोषित कर दिया गया. इंदिरा को सरकारी सेवा में रहते हुए चुनाव में यशपाल कपूर की सेवाओं को प्राप्त करने का आरोप और मंच, माइक्रोफोन, शामियाने आदि की सरकारी खर्च से व्यवस्था की वजह से लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 (7) के अधीन चुनावी कदाचरण का दोषी पाया गया. इसके साथ ही साथ इंदिरा को अगले छह साल के लिए किसी संवैधानिक पद के लिए अयोग्य करार दिया गया.
फैसले के बाद लगा आपातकाल
राजनारायण के वकील और समर्थक जश्न मना रहे थे. वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट में इंदिरा के वकील जस्टिस सिन्हा के रिटायरिंग रूम में सुप्रीम कोर्ट में अपील तक फैसले पर स्टे की गुजारिश कर रहे थे., जस्टिस सिन्हा ने मामले को लेकर कहा था कि इसके लिए उन्हें दूसरे पक्ष को सुनने का अवसर देना होगा. वहीं राजनारायण के वकीलों के पहुंचने तक जस्टिस सिन्हा फैसले का क्रियान्वयन 20 दिन के लिए स्थगित कर चुके थे. इलाहाबाद की अदालत के इस फैसले की गूंज पूरे देश में थी.
24 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी.कृष्णा अय्यर की एकलपीठ ने हाईकोर्ट के देश के क्रियान्वयन पर सशर्त रोक लगा दी. आदेश के तहत इंदिरा गांधी का प्रधानमंत्री पद सुरक्षित रहा. इंदिरा तब तक संसद में बैठ सकती थीं, लेकिन उन्हें सांसद के तौर पर सदन में वोट देने का अधिकार नहीं हासिल था. इसके बाद अगले दिन 25 जून को इंदिरा गांधी ने आंतरिक आपातकाल की घोषणा की. विपक्ष के नेताओं की गिरफ्तारियां की गईं और नागरिकों को उनके मूल अधिकारों से वंचित कर दिया गया.