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तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलावट के मामले ने बढ़ाई राजनीति, जानें कैसे हुआ खुलासा

तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में घी की मिलावट का खुलासा होने से देशभर में संतों और भक्तों में नाराजगी फैल गई है। जांच रिपोर्ट में घी में मछली का तेल और जानवरों की चर्बी मिलने की पुष्टि हुई है। राजनीतिक गलियारों में भी इस मुद्दे पर गरमागरमी बढ़ गई है, और ट्रस्ट बोर्ड को भंग करने की मांग की जा रही है।

तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलावट के मामले ने बढ़ाई राजनीति, जानें कैसे हुआ खुलासा

आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में हुई मिलावट के मामले ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। हाल ही में आई एक जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रसाद में उपयोग किए गए घी में मछली के तेल और जानवरों की चर्बी मिलाने का मामला सामने आया है। इस खुलासे ने देशभर के संतों में नाराजगी पैदा कर दी है और वे मंदिर ट्रस्ट बोर्ड के तत्काल भंग की मांग भी कर रहे हैं।

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TDP ने लगाया आरोप

सत्ताधारी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के नेता और मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया है कि गुजरात की पशुधन प्रयोगशाला द्वारा किए गए परीक्षण में घी में "बीफ टैलो" की मौजूदगी पाई गई है। उन्होंने इस संदर्भ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में लैब रिपोर्ट भी पेश की। जून में जगन मोहन रेड्डी की पार्टी को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था, और इसके बाद से ही यह मामला तूल पकड़ रहा है।

कैसे हुआ खुलासा

9 जुलाई को मंदिर ट्रस्ट ने घी के सैंपल को गुजरात स्थित प्रयोगशाला में भेजा था, और 16 जुलाई को रिपोर्ट में मिलावट की पुष्टि की गई। कांग्रेस अध्यक्ष वाईएस शर्मिला ने इस मुद्दे पर चंद्रबाबू नायडू की टिप्पणियों की आलोचना की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि नायडू की बातों से तिरुमाला की पवित्रता को नुकसान पहुंचा है और उन्होंने मांग की कि अगर इसमें कोई राजनीतिक आयाम नहीं है, तो उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए या सीबीआई से जांच कराई जाए।

प्रसाद गुणवत्ता की जांच के लिए बनी समिति

टीटीडी ने गुणवत्ता बहाल करने के लिए कई उपाय सुझाए हैं, और घी की आपूर्ति के लिए कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को चुना गया है। इसके साथ ही, प्रसादम की गुणवत्ता की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जिसमें देश के विभिन्न डेयरी विशेषज्ञ शामिल हैं।

इस पूरे घटनाक्रम ने आंध्र प्रदेश की सियासत में एक नई गर्मी पैदा कर दी है और जनता की आस्था को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। अब देखना यह है कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है।