Semiconductor पर सरकार का 'मास्टर स्ट्रोक', ताइवान से आगे निकलेगा भारत, चीन बौखलाया,अमेरिका भी आया साथ, पढें रिपोर्ट
भारत और अमेरिका ने मिलकर सेमीकंडक्टर क्षेत्र में महत्वपूर्ण साझेदारी की है। इस साझेदारी से भारत चीन के वर्चस्व को चुनौती देगा जानें भारत की 10 साल में 10 सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित करने की योजना के बारे में।
कोविड-19 के बाद से सभी देश सेमीकंडक्टर चिप यानी सिकॉन चिप में महारथ हासिल करने के लिए तमाम बड़े कदम उठा रहे हैं। ये एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है,जिसके बिना शायद ही कोई मोबाइल, बैटरी,कार, स्मॉर्ट वॉच, टीवी,ड्रेन काम कर सकें। ये चिप छोटी होकर भी एविएशन सेक्टर से लेकर ऑटोमोबइल सेक्टर में सबसे जरूरी पार्ट होता है। बीते कई सालों से भारत में भी सेमीकंडक्टर यूनिट लगाए जाने पर विचार चल रहा है। केंद्र सरकार ताइवान-जापान समेत कई देशों से इस मसले पर बातचीत कर रही है। इसी कड़ी में भारत और अमेरिका ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझेदारी की है, जिससे इस साझेदारी से भारत को सेमीकंडक्टर की ग्लोबल सप्लाई चेन में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने में मदद मिलेगी, जिससे चीन के वर्चस्व को चुनौती मिलेगी।
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साझेदारी से चीन पर होगी निरभर्रता कम
वहीं सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में चीन का दबदबा है। ऐसे में भारत-अमेरिका की साझेदारी चीन को पसंद नहीं आएगी। इसके तहत भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम का विश्लेषण किया जाएगा। अमेरिका ने वैश्विक सेमीकंडक्टर यूनिट लगाने के लिए भारत के साथ सहयोग बढ़ाने का वादा किया है। इस सहयोग से भारत के सेमीकंडक्टर मिशन को बल मिलेगा और चीन पर सेमीकंडक्टर सप्लाई की निर्भरता कम होगी।
1 दशक में लगेंगे 10 सेमीकंडक्टर यूनिट
गौरतलब है, भारत अगले 10 वर्षों में 10 सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इस योजना के तहत दो या तीन सेमीकंडक्टर मैनूफैक्चरिंग फ्लाट, दो या तीन डिस्प्ले फैब और विभिन्न कम्पाउंड यूनिट लगाएं जाएंगे। सरकार को अब तक चिप पैकेजिंग प्लान्ट सहित सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित करने के लिए 20 प्रस्ताव मिले हैं। जहां सरकार 5 परियोजनाओं को 1.52 लख करोड़ के निवेश को मंजूरी दे चुकी हैं। जबकि, इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के सीईओ आकाश त्रिपाठी ने बताया कि इस मिशन के तहत 10 फैब लगाने का लक्ष्य है और सरकार इस पहल के लिए 76,000 करोड़ रुपये में से 62,000 करोड़ रुपये देने को प्रतिबद्ध है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव एस. कृष्णन ने कहा कि सेमीकंडक्टर परियोजनाओं के लिए धन की कोई कमी नहीं है और भारत के पास वैश्विक सेमीकंडक्टर डिजाइन कार्यबल का 20 प्रतिशत है।