जीतन राम मांझी और किरोड़ी लाल मीणा ने किया भारत बंद का विरोध, जानिए चिराग पासवान और बीएसपी का रुख
अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण में क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आज यानी 21 अगस्त को देशभर के विभिन्न संगठनों ने 'भारत बंद' का आह्वान किया है। इस 'भारत बंद' का कई विपक्षी दलों ने भी समर्थन किया है।
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि वह इस 'भारत बंद' का समर्थन नहीं करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ संपन्न दलित झूठी बातें करके आरक्षण खत्म करने का भ्रम फैला रहे हैं। खास लोग अपने स्वार्थ के लिए यह आंदोलन चला रहे हैं। वहीं चिराग ने इस बंद का समर्थन किया है।
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अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण में क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आज यानी 21 अगस्त को देशभर के विभिन्न संगठनों ने 'भारत बंद' का आह्वान किया है। इस 'भारत बंद' का कई विपक्षी दलों ने भी समर्थन किया है। लेकिन एनडीए में भी इस मुद्दे पर अलग-अलग राय देखने को मिल रही है। चिराग पासवान इस बंद के समर्थन में हैं जबकि जीतन राम मांझी ने इसका विरोध किया है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है।
'भारत बंद' के समर्थन में नहीं - जीतन राम मांझी
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि वह इस 'भारत बंद' का समर्थन नहीं करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ संपन्न दलित झूठी बातें कहकर आरक्षण खत्म होने का भ्रम फैला रहे हैं। खास लोग अपने स्वार्थ के लिए इस आंदोलन को चला रहे हैं। मांझी ने कहा, 'जो लोग आज बंद का समर्थन कर रहे हैं, ये वही लोग हैं जिन्होंने पहले आरक्षण के नाम पर अपनी स्थिति मजबूत की और बाकी दलित समुदाय को पीछे छोड़ दिया।' मांझी ने कहा कि दलित समुदाय के कई लोग आज भी बेहद गरीबी में जी रहे हैं, जबकि कुछ अन्य जिन्हें उन्होंने 'डी4' कहा, आरक्षण का लाभ उठाकर बेहतर जीवन जी रहे हैं।
छुआछूत जैसी प्रथा हो बंद – चिराग पासवान
लोजपा (आर) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने इस भारत बंद का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि हम इस बंद का पूरा समर्थन करेंगे। चिराग ने कहा कि जब तक समाज में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ छुआछूत जैसी प्रथा है, तब तक एससी/एसटी वर्ग के लिए उप-श्रेणियों में आरक्षण और क्रीमी लेयर जैसा कोई प्रावधान नहीं होना चाहिए।
हनुमान बेनीवाल ने किया भारत बंद का समर्थन
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता और राजस्थान के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी इस बंद का समर्थन किया है। उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा, 'माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति के उप-वर्गीकरण और क्रीमी लेयर पर दी गई राय के विरोध में भारत के अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों ने 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया है, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी इस भारत बंद का समर्थन करती है!'
मायावती ने भी किया समर्थन
बीएसपी भी भारत बंद के समर्थन में है। मायावती ने अपने कार्यकर्ताओं से शांतिपूर्ण और बिना हिंसा के प्रदर्शन करने की अपील की है। उन्होंने एक्स पर लिखा- 'बीएसपी भारत बंद का समर्थन करती है क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस आदि आरक्षण विरोधी साजिश के जरिए इसे अप्रभावी बनाना चाहती हैं।' वहीं, आकाश आनंद ने एक्स पर लिखा- 'आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ SC/ST समाज में काफी आक्रोश है। हमारे समाज ने कोर्ट के फैसले के खिलाफ में 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया है। हम सबका समर्थन करते हैं। हमारा समाज सबके सुख-दुख में शामिल होता है। लेकिन, आज हमारी आजादी पर हमला हो रहा है। 21 अगस्त को हमें शांतिपूर्ण तरीके से इसका मुंहतोड़ जवाब देना है।'
जानें क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि अनुसूचित जाति और जनजाति आरक्षण में क्रीमी लेयर और कोटा के भीतर कोटा लागू करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित-आदिवासी संगठनों ने बुधवार को 14 घंटे के भारत बंद का आह्वान किया है। दलित एवं आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ नामक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दलितों और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है और केंद्र सरकार से इसे रद्द करने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
दरअसल, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कोटा के भीतर कोटा से जुड़े मामले में अपना फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 6-1 के बहुमत से फैसला सुनाया कि राज्यों को आरक्षण के लिए कोटा के भीतर कोटा बनाने का अधिकार है। यानी राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए उप-श्रेणियां बना सकती हैं, ताकि सबसे ज़्यादा ज़रूरतमंदों को आरक्षण में प्राथमिकता मिल सके। राज्य विधानसभाएं इस संबंध में कानून बना सकेंगी।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के अपने पुराने फैसले को पलट दिया है। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी श्रेणियों का आधार उचित होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 341 के खिलाफ नहीं है। कोर्ट ने साफ कहा था कि एससी के अंदर किसी एक जाति को 100 फीसदी कोटा नहीं दिया जा सकता। इसके अलावा एससी में शामिल किसी भी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता आंकड़ा होना चाहिए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने यह फैसला सुनाया।