Trendingट्रेंडिंग
वेब स्टोरी

Trending Web Stories और देखें
वेब स्टोरी

Sharia Law: मुस्लिम मर्दों को हाईकोर्ट की फटकार, पहली बीवी की रहते दूसरे निकाह को बताया क्रूरता, पढ़ें पूरी खबर

मद्रास उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि पहली पत्नी के जीवित रहते हुए मुस्लिम पुरुष द्वारा दूसरी शादी करना पहली पत्नी के प्रति क्रूरता है। कोर्ट ने पुरुष को मुआवजा और बच्चे के भरण पोषण का भुगतान करने का आदेश दिया है। 

Sharia Law: मुस्लिम मर्दों को हाईकोर्ट की फटकार, पहली बीवी की रहते दूसरे निकाह को बताया क्रूरता, पढ़ें पूरी खबर

दुनिया में कई देश ऐसे हैं जहां पर आज भी शरिया कानून माना जाता है। भारत में भी कई ऐसे मुस्लिम पुरुष हैं, जो शरिया कानून का पालन करते हैं और वह इसी का हवाला देकर दूसरे निकाह को भी जायज ठहराते हैं। चाहे इसके लिए उन्हें अपनी पत्नी को तलाक क्यों ना देना पड़े या फिर प्रताड़ित क्यों न करना पड़े। हालांकि अब इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट की बड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने मुस्लिम पुरुषों के पहले बीवी के रहते दूसरे निकाह पर आपत्ति जताई और इस क्रूरता करार दिया। अदालत ने माना है कि पहली पत्नी के रहते हुए पति का दूसरी औरत के साथ शादी पहली बीवी को शारीरिक मानसिक तौर पर प्रताड़ित करता है। 

ये भी पढ़ें- Delhi Crime: गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठी राजधानी...मीरा बाग में 8-9 राउंड फायरिंग, लोगों में दहशत का माहौल

किस मामले में अदालत ने सुनाया फैसला? 

जानकारी के अनुसार, पूरा मामला तमिलनाडु का है। जहां एक मुस्लिम व्यक्ति ने 2010 में एक महिला से निकाह किया था। दोनों एक बच्चे के मां-बाप भी थे लेकिन कुछ सालों बाद युवक ने दूसरी महिला से निकाह कर लिया। पति के दूसरी शादी से पहली पत्नी को आपत्ति थी और उसने 2018 में पति के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया। कोर्ट ने युवक को 2021 में पहली पत्नी को 5 लाख का मुआवजा और नाबालिक बच्चों के भरण पोषण के लिए 25000 रुपए महीना देने का आदेश दिया था। इस फैसले के के खिलाफ युवक सत्र पहुंचा। हालांकि याचिका खारिज होने के बाद उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अब जाकर कोर्ट ने भी निचली अदालत को फैसले को बरकरार रखाहै। 

कोर्ट ने इन बातों से किया इनकार 

मुस्लिम शख्स ने अदालत के सामने तमिलनाडु सरिया काउंसिल तोहिद जमात के द्वारा जारी किया गया तलाक सर्टिफिकेट पेश किया था। जिसे कोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया, और कहा कि इसके आधार पर पहली शादी खत्म होने का कोई भी कानूनी औचित्य नहीं है। दूसरी शादी करने के बाद पति पहली पत्नी के भरण पोषण का खर्चा उठाने से इनकार नहीं कर सकता।