Famous Shiva Temples: सावन में हर कष्ट से मिलेगी मुक्ति, एक बार जरूर जाएं राजस्थान के इस शिव मंदिर में
राजस्थान में बसा यह मंदिर हजारों साल पुराना है । हर दिन यहां हजारों की संख्या में भक्त भोलेनाथ के दर्शन के लिए जरूर पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां उनकी हर समस्या का भगवान शिव समाधान करेंगे । आइए आपको बताते हैं भगवान शिव के इस ऐतिहासिक मंदिर के बारे में-
सावन की शुरूआत होने वाली है। ये महीना भगवान शिव का अति प्रिय माह है। सावन में भगवान शिव अपने भक्तों की हर मुराद को जरूर पूरा करते हैं और वहीं कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जहां भगवान शिव दर्शन मात्र से भक्त को मनवांछि.त फल देते हैं । इनमें से एक है राजस्थान का मौजूद देव सोमनाथ मंदिर ।
कहा जाता है कि राजस्थान में बसा यह मंदिर हजारों साल पुराना है । हर दिन यहां हजारों की संख्या में भक्त भोलेनाथ के दर्शन के लिए जरूर पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां उनकी हर समस्या का भगवान शिव समाधान करेंगे । आइए आपको बताते हैं भगवान शिव के इस ऐतिहासिक मंदिर के बारे में-
देव सोमनाथ तीर्थ डूंगरपुर राजस्थान से चौबीस किलोमीटर दूर सोम नदी के तट पर स्थित है। यह भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी के करीब 1493 ई. में हुआ था शिलालेख से इसका पता में चलता है। यह गुजरात के सोमनाथ मंदिर से काफी मिलता जुलता है।
देव सोमनाथ मंदिर धार्मिक आस्था के लिए एक बड़ा आकर्षण बना हुआ है। इसमें गर्भग्रह और मुख्य मंडप भी हैं। मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग सात सीढ़ियों की गहराई में स्थित है। यह मंदिर "मालवा" पद्धति से बनाया गया था। सड़क परिवहन यहां तक पहुंचने का सुविधाजनक और आसान तरीका है।
वास्तुशिल्प तकनीक का अद्वितीय उदाहरण:
देव सोमनाथ मंदिर अपनी अभूतपूर्व वास्तुकला के लिए जाना जाता है। मंदिर के निर्माण के लिए एक अनोखी तकनीक का उपयोग किया गया है। भूकंप को बेअसर करने के लिए तीन मंजिला मंदिर को 148 खंभों पर खड़ा किया गया था। अविश्वसनीय बात यह है कि पूरे मंदिर का निर्माण रेत और सीमेंट के उपयोग के बिना किया गया था ।
मंदिर के पास सोम नदियों के पानी की धीमी-धीमी कल-कल ध्वनि के साथ कोमल और सुखद अनुभूति मन को आराम देती है। मंदिर में दर्शन के लिए कोई समय सीमा नहीं है। यह किसी भी समय आया जा सकता है। अगर आपको राजस्थान आने का अवसर मिले तो देव सोमनाथ डूंगरपुर जैसी ऐतिहासिक और अद्वितीय जगह आना कभी न भूलें।