5 साल के बच्चे ने अफ्रीका के सबसे ऊंचे पर्वत किलिमंजारों पर चढ़कर बनाया रिकॉर्ड, बने सबसे कम उम्र के एशियाई
तेगबीर सिंह की माउंट किलिमंजारो की चढ़ाई में उनकी मेहनत और कोच बिक्रमजीत सिंह घुम्मन का मार्गदर्शन प्रमुख रहा। इस ऐतिहासिक उपलब्धि को हासिल करने के लिए तेगबीर को एक साल की कड़ी ट्रेनिंग दी गई, जिसमें शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की तैयारियाँ शामिल थीं।
पंजाब के पांच साल के तेगबीर सिंह ने वह कर दिखाया है जो शायद ही किसी ने सोचा हो। इतनी कम उम्र में इस नन्हे पर्वतारोही ने अफ्रीका की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट किलिमंजारो को फतह कर एक नया इतिहास रच दिया है। इस अद्भुत उपलब्धि के साथ तेगबीर सिंह एशिया का सबसे कम उम्र का पर्वतारोही बन गया है, जिसने इस खतरनाक और चुनौतीपूर्ण चोटी को फतह किया है।
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माउंट किलिमंजारो, तंजानिया में स्थित है और इसकी ऊंचाई 19,340 फीट (5895 मीटर) से अधिक है। इस ऊंचाई पर पहुंचना और वहां से सुरक्षित लौटना केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी बहुत कठिन कार्य है। इस चोटी की चढ़ाई करना अनुभवी पर्वतारोहियों के लिए भी एक बड़ी चुनौती होती है, लेकिन तेगबीर सिंह ने अपनी हिम्मत और आत्मविश्वास से इस चुनौती को पार कर दिखाया।
18 अगस्त को शुरू की थी यात्रा
तेगबीर सिंह ने अपने साहस और दृढ़ता से एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, जो पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। 18 अगस्त को, पंजाब के पांच साल के इस छोटे से पर्वतारोही ने अपनी माउंट किलिमंजारो की यात्रा शुरू की थी। माउंट किलिमंजारो, जो कि अफ्रीका की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है, पर चढ़ाई करना किसी भी उम्र के व्यक्ति के लिए एक कठिन चुनौती होती है। लेकिन तेगबीर ने अपनी उम्र को दरकिनार करते हुए इस चुनौती को स्वीकार किया और 23 अगस्त को पर्वत की सबसे ऊंची चोटी उहुरू तक पैदल चलकर पहुंचा।
तेगबीर ने सर्बिया के ओगनजेन जिवकोविच से बराबरी की
यह यात्रा सिर्फ एक चढ़ाई नहीं थी, बल्कि तेगबीर के लिए एक मिशन था, जिसमें उसने अपने साहस और संकल्प को साबित किया। 23 अगस्त को, जब वह उहुरू चोटी पर पहुंचा, तो उसने पूरे देश का मान बढ़ाया। इस उपलब्धि के साथ ही तेगबीर ने सर्बिया के ओगनजेन जिवकोविच के विश्व रिकॉर्ड की बराबरी कर ली, जिन्होंने भी पांच साल की उम्र में माउंट किलिमंजारो की चढ़ाई की थी।
इस यात्रा के लिए स्पेशल ट्रेनिंग ली
तेगबीर की इस यात्रा को सफल बनाने के लिए उसे खासतौर पर ऊंचाई पर होने वाली चुनौतियों के लिए विशेष ट्रेनिंग दी गई थी। माउंट किलिमंजारो की ऊंचाई और कठिनाई स्तर को देखते हुए, यह सुनिश्चित करना जरूरी था कि तेगबीर शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह से तैयार हो। ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी, बदलते मौसम की परिस्थितियों और लंबी दूरी तक चलने की क्षमता जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर खास ध्यान दिया गया। बिक्रमजीत सिंह घुम्मन ने तेगबीर को इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया, ताकि वह बिना किसी परेशानी के इस चढ़ाई को पूरा कर सके।
तेगबीर के माता-पिता ने भी इस सफर में उसकी तैयारी को लेकर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि बिक्रमजीत सिंह की देखरेख में तेगबीर को ऊंचाई पर होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए विशेष ट्रेनिंग दी गई थी। इस ट्रेनिंग में उसकी फिटनेस को बढ़ाने, सहनशक्ति विकसित करने, और कठिन परिस्थितियों में आत्मविश्वास बनाए रखने पर जोर दिया गया था।