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Rajasthan By-Election: उपचुनाव से पहले बढ़ी राजकुमार रोत की मुश्किलें, अपनों ने की बगावत ! क्या होगा असर? जानें

राजस्थान के उपचुनावों में भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) के राजकुमार रोत की मुश्किलें बढ़ गई हैं। BAP प्रमुख राजकुमार रोत को Congress और BJP के अलावा, अपनी ही पार्टी के भीतर पार्टी के कार्यकर्ता के बगावत का सामना करना पड़ रहा है।

Rajasthan By-Election: उपचुनाव से पहले बढ़ी राजकुमार रोत की मुश्किलें, अपनों ने की बगावत ! क्या होगा असर? जानें

राजस्थान में सात सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हैं। कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने हैं। तो हमुमान बेनीवल की पार्टी आरएलपी ने भी चुनावी रण में उतरने की पूरी तैयार कर ली है। यहां तो ठीक था लेकिन इस बार कांग्रेस-बीजेपी को राजकुमार रोत की पार्टी भारतीय आदिवासी दल से भी कड़ी टक्कर मिल रही है। विधानसभा चुनाव में दो सीटें वाली बीएपी इस बार दो सीटों चौरासी और सलूंबर में मैदान में है। यहां पर किसी भी दल की राह आसान नहीं होने वाली हालांकि राजकुमार दल विपक्षी दलों से निपटें उससे पहले उनकी पार्टी में जंग छिड़ गई है। दरअसल, ये हम नहीं बल्कि सियासी समीकरण कह रहे हैं। बता दें, बीते दिन रोत के करीबी कहे जाने वाले पोपट खोखरिया ने पार्टी से जुड़े कई विषयों पर नाराजगी की थी हालांकि जल्द ही उन्हें मना लिया गया, लेकिन अब पार्टी में बगावत शुरू हो गई है और चिखली से बीएपी प्रधान शर्मिला ताबियाड़ के पति बदामीलाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने के ऐलान के साथ नामांकन दाखिल कर दिया है। फजीहत होते देख उन्हें निष्कासन झेलना पड़ा।

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उपचुनाव से पहले बढ़ी रोत की मुश्किलें

गौरतलब है,चोरासी सीट पर रोत का प्रभाव माना जाता है। यहां से लगातार दो बार विधायक चुने गए हैं। पिछली बार तो उन्होंने 70 हजार वोटों से जीत हासिल की थी,जो अभी तक की किसी भी उम्मीदवार की सबसे बड़ी जीत थी। ऐसे में चुनाव से पहले पार्टी में दो फाड़ अच्छे संकेत नहीं है। बीती रात बदामीलाल को निष्कासित करने का फैसला बीएपी प्रमुख मोहन लाल रोत ने लिया। वहीं, उपचुनाव की बात करें तो रोत की पार्टी ने चौरासी से अनिल कटारा को प्रत्याशी बनाया है। दबी जुबान से कई कार्यकर्ताओं ने कहा था पार्टी के कई लोग आलाकमान के इस फैसले से खुश नहीं है हालांकि जब बदामीलाल ने नामांकन दाखिल किया तो हर किसी के होश उड़ गए। कार्यकर्ताओं को एकता का संदेश हुए बगावत करने वाले पर पार्टी ने तगड़ा एक्शन लिया है। 

बीजेपी-कांग्रेस को बीएपी की चुनौती 

बीते लोकसभा चुनाव में राजकुमार रोत कांग्रेस के समर्थन पर सांसद बने थे हालांकि उपचुनाव में बीएपी ने अकेले चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है। वहीं, 2023 के विधानसभा चुनाव में भी रोत की पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था, ऐसे में कांग्रेस-बीजेपी दोनों ही हमेशा आदिवासी समाज के हकों की आवाज बुलंद करने वाली बीएपी को हल्के में लेने की गलती नहीं करेंगी। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है पिछले साल गठित हुई भारतीय आदिवासी पार्टी का जनाधार दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। एक तरफ पार्टी ने राजस्थान में दो टिकटों पर उम्मीदवार उतारे हैं तो दूसरी तरफ झारखंड विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने को तैयार है। पार्टी ने झारखंड की 9 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया गया है।