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राजस्थान का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल उदयपुर की लोकसभा सीट का इतिहास...

उदयपुर, राजस्थान का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। जो अपने इतिहास, संस्कृति और अपने आकर्षक स्थलों के लिये जाना जाता है। यह राजस्थान के 25 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। इसे सन् 1559 में महाराणा उदय सिंह ने स्थापित किया था। अपनी झीलों के कारण यह शहर 'झीलों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। उदयपुर शहर सिसोदिया राजवंश द्वारा ‌शासित मेवाड़ की राजधानी रहा है। पिछोला झील, जग मंदिर, सिटी पैलेस यहां के मुख्य पर्यटन स्थल हैं। दिल्ली से उदयपुर की दूरी लगभग 722 किलोमीटर है।

राजस्थान का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल उदयपुर की लोकसभा सीट का इतिहास...

उदयपुर लोकसभा सीट

उदयपुर, राजस्थान का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। जो अपने इतिहास, संस्कृति और अपने आकर्षक स्थलों के लिये जाना जाता है। यह राजस्थान के 25 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। इसे सन् 1559 में महाराणा उदय सिंह ने स्थापित किया था। अपनी झीलों के कारण यह शहर 'झीलों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। उदयपुर शहर सिसोदिया राजवंश द्वारा ‌शासित मेवाड़ की राजधानी रहा है। पिछोला झील, जग मंदिर, सिटी पैलेस यहां के मुख्य पर्यटन स्थल हैं। दिल्ली से उदयपुर की दूरी लगभग 722 किलोमीटर है।

उदयपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस और बीजेपी के दो सरकारी कर्मचारियों के बीच जंग देखने को मिलेगी। बता दें, कि यह सीट जनजाति आरक्षित सीट है, और यहां से दो बार से BJP के अर्जुनलाल मीणा सांसद हैं। अब भारतीय जनता पार्टी ने परिवहन विभाग के एडिशनल कमिश्नर मन्नालाल रावत को मौदान में उतारा है। तो वहीं, कांग्रेस ने पूर्व आईएएस अधिकारी ताराचंद मीणा को अपना प्रत्याशी बनाया है।

राजनीति

आजादी के बाद उदयपुर में पहला लोकसभा चुनाव सन् 1952 में हुआ था। उस समय कांग्रेस के बलवंत सिंह मेहता सांसद चुने गए थे। हालांकि 57 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशी बदलकर दीनबंधु परमार को मैदान में उतारा और विजयी हुए। इसके बाद 62 और 67 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर प्रत्याशी बदला और धुलेश्वर मीणा को सांसद बनाया था। 71 में पहली बार भारतीय जनसंघ ने यहां से खाता खोला और लालजी भाई मीणा यहां से सांसद चुने गए। फिर 77 के चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर भानु कुमार शास्त्री और 80 के चुनाव में कांग्रेस के मोहनलाल सुखड़िया यहां से चुने गए थे। फिर 84 का चुनाव हुआ तो कांग्रेस के ही इंदुबाला सुखड़िया और 89 के चुनाव में भाजपा के गुलाब चंद कटारिया को संसद जाने का मौका मिला। हालांकि 91 में कांग्रेस के गिरिजा ब्यास को उदयपुर से सांसद चुना गया और यहां की जनता ने उन्हें दोबारा 96 में भी संसद भेजा। फिर 98 में चुनाव हुआ तो भाजपा के शांतिलाल चपलोट और 99 के चुनाव में कांग्रेस के गिरिजा ब्यास ने विजयश्री हासिल की। 2004 में यहां से भाजपा की किरन महेश्वरी और 2009 में कांग्रेस के रघुवीर मीणा सांसद बने। उसके बाद से भाजपा के अर्जुनलाल मीणा यहां से सांसद हैं।