Jodhpur News: मुनेश गर्जुर मामले में जनता को खुशखबरी क्यों नहीं दे पाए झाबर सिंह खर्रा? कहां अटक गई बात, जानें
Jodhpur: जयपुर हेरिटेज महापौर मुनेश गुर्जर की भ्रष्टाचार मामले में मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कोर्ट ने उन्हें 19 सितंबर तक पेश होने का आदेश दिया है हालांकि इसी बीच यूडीएस मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने उनका 24 घंटे के अंदर उनके निलबंन का वादा किया था लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ।
राजस्थान की राजधानी जयपुर का पारा इन दिनों चढ़ा हुआ है। जहां हेरिटेज मेयर मुनेश गर्जुर को एसीबी कोर्ट ने 19 सितबंर तक अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। वहीं यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने आम जनता से मुनेश गुर्जर के निंबलन की खुशखबरी 24 घंटे के भीतर सुनाने का वादा किया था,हालांकि अभी तक लोग इसका इंतजार ही कर रहे हैं। ऐसे में चर्चा ये भी हो रही है कि आखिर मंत्री जनता को 'गुड न्यूज' क्यों नहीं दे पा रहे हैं।
मीडिया से क्या बोले झाबर सिंह खर्रा
बता दें, हेरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर को लेकर बीते दिनों DLB ने एसीबी को अभियोजन को स्वीकृति दे दी थी। इस बाद से ही राजनीतिक हलचल तेज है। मीडिया ने इस बारें में झाबर सिंह से सवाल पूछे थे, जब सवालों का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा था कि निलंबन कल की तारीख में होगा, 24 घंटे तक का इंतजार करिए, खुशखबरी जल्द मिलेगी। हालांकि, अभी तक जनता केवल इंतजार ही कर रही है। ये बयान झाबर ने 10 सितंबर को दिया था लेकिन आज 14 सितंबर हो गई। ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि आखिर किस वजह से मंत्री जी का दावा पूरा नहीं हुआ है।
आखिर क्या है पूरा मामला ?
गौरतलब है, जयपुर नगर निगम हरिटैज के महापौर मुनेश गुर्जर की भ्रष्टाचार मामले में मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। राज्य सरकार की स्वकृति के बाद स्वायत्त शासन विभाग ने उन्हें नोटिस जारी किया है, कोर्ट ने उन्हें 19 सिंतबर तक पेश होने का आदेश दिया है। एसीबी की ओर से जारी किये गये नोटिस में लिखा है कि कई मामलों में लिप्त होने पर आप पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई होना तय है। जिसके बाद मुनेश गुर्जर के मेयर पद पर तलवार लटक गई है। पूर्व में भी राज्य सरकार उन्हें दो बार निलबिंत कर चुकी है। दरअसल, बीते साल भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों ने मुनेश गुर्जर के पति को पट्टा जारी करने के एवज में रिश्वत लेते रंगे हाथों उनके घर से पकड़ा था। जब घर में तलाशी ली गई तो 41 लाख रुपए बरामद हुए थे। जबकि पट्टों से संबंधित कई फाइलें मिली थीं। जब मामले की जांच की गई तो महापौर मुनेश को दोषी पाया गया तबसे वह जांच के घेरे में है।