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Jaipur News: ट्रेनों में दिवाली की 'भरमार', यात्री बेहाल, घर जाने की बेकरारी और ट्रेनों की लाचारी!

परेशान यात्री सोशल मीडिया पर रेल मंत्री और जोनल रेलवे के अकाउंट्स पर शिकायतें दर्ज करा रहे थे, लेकिन उनकी गुहार बेअसर थी। रेलवे की तरफ से जल्द मदद का आश्वासन तो मिला, पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही थी।

Jaipur News: ट्रेनों में दिवाली की 'भरमार', यात्री बेहाल, घर जाने की बेकरारी और ट्रेनों की लाचारी!

दिवाली की रौशनी से जगमगाते जयपुर शहर में रेलवे स्टेशन पर एक अलग ही कहानी लिखी जा रही थी। त्योहार की खुशियों के बीच ट्रेनों में पैर रखने की भी जगह नहीं थी। भीड़ का आलम ये था कि कन्फर्म टिकट वाले यात्रियों को भी अपनी सीट तक पहुंचने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही थी। कई बार तो सीटों को लेकर यात्रियों के बीच तीखी नोकझोंक और विवाद भी हो रहे थे। कन्फर्म टिकटधारी यात्रियों के विरोध के बावजूद, बिना टिकट या वेटिंग टिकट वाले यात्री सीट छोड़ने को तैयार नहीं थे।

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ट्रेनों में उमड़ी भारी भीड़

परेशान यात्री सोशल मीडिया पर रेल मंत्री और जोनल रेलवे के अकाउंट्स पर शिकायतें दर्ज करा रहे थे, लेकिन उनकी गुहार बेअसर थी। रेलवे की तरफ से जल्द मदद का आश्वासन तो मिला, पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही थी। जयपुर से दिल्ली, मुंबई, हावड़ा, कानपुर, पटना, वाराणसी, अहमदाबाद, अमृतसर और चंडीगढ़ जैसे प्रमुख शहरों के लिए रवाना होने वाली ट्रेनें खचाखच भरी हुई थीं। तत्काल कोटे में भी लंबी वेटिंग लिस्ट थी और कुछ ट्रेनों में स्लीपर और थर्ड एसी में तो जगह का नामोनिशान तक नहीं था।

शौचालय में बैठकर कर रहे सफर

हालात इतने बदतर थे कि जयपुर से गुजरने वाली अजमेर-जम्मूतवी, आश्रम एक्सप्रेस, इंदौर-जोधपुर इंटरसिटी, जयपुर-जोधपुर इंटरसिटी, अजमेर-जबलपुर, भुज-बरेली, जयपुर-उदयपुर जैसी कई ट्रेनों में यात्री जनरल कोच के शौचालय में बैठकर सफर करने को मजबूर थे। रिजर्व कोच में बिना कन्फर्म टिकट सफ़र कर रहे यात्रियों की मजबूरी भी कम दर्दनाक नहीं थी।

दिवाली पर घर जाना जरूरी

उनका कहना था कि दिवाली पर घर जाना जरूरी है, इसलिए वे जनरल टिकट लेकर रिजर्व कोच में घुसने को मजबूर हैं। कई यात्री वेटिंग टिकट लेकर भी भीड़ में घुस जा रहे थे। ट्रेन में भारी भीड़ के कारण टीटीई और आरपीएफ के कर्मचारी भीड़ को चीरकर टिकट चेक नहीं कर पा रहे थे, जिससे बिना टिकट वालों की मनमानी बढ़ती जा रही थी। त्योहार की खुशियां मानो भीड़ के आंसुओं में बह गई थीं।