Jaipur का शाही विजयादशमी उत्सव, महाराजा की परंपरागत पूजा का अद्भुत नजारा, शस्त्र पूजा से लेकर नील कंठ पक्षी तक
इस दिन महाराजा सवाई पद्मनाभ सिंह की उपस्थिति में विजयादशमी का पर्व मनाया जा रहा था। रीति-रिवाजों का पालन करते हुए, महाराजा पहले चंद्र महल पहुंचे। वहां उन्होंने पारंपरिक शस्त्र पूजा की।
जयपुर के ऐतिहासिक सिटी पैलेस में विजयादशमी का त्योहार एक अद्भुत रंग में सराबोर दिखा। धूप में चमकता हुआ महल, आज फूलों से सजा हुआ दिखाई दिया और हवा में मधुर संगीत की धुन गूंज रही थी।
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महाराजा ने की पारंपरिक शस्त्र पूजा
इस दिन महाराजा सवाई पद्मनाभ सिंह की उपस्थिति में विजयादशमी का पर्व मनाया जा रहा था। रीति-रिवाजों का पालन करते हुए, महाराजा पहले चंद्र महल पहुंचे। वहां उन्होंने पारंपरिक शस्त्र पूजा की, जिसमें उनकी वंशानुगत तलवार और ढाल को पूजा गया। शस्त्र पूजा एक प्राचीन रीति है, जो साहस, शक्ति और बुराई पर विजय का प्रतीक है।
अश्व, गज और पालकी की पूजा
इसके बाद, सर्वतोभद्र चौक में एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला। वहां महाराजा ने अश्व पूजा, गज पूजा और पालकी की पूजा की। घोड़े, हाथी और पालकी, सभी को फूलों और आभूषणों से सजाया गया था। ये पूजाएं अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और सौभाग्य के लिए की जाती है।
प्राचीन परंपरा के तहत उड़ाया गया पक्षी
जब महाराजा जयपाल पर पहुंचे, तो वहां एक नील कंठ पक्षी को उड़ाया गया। नील कंठ पक्षी को विजयादशमी के अवसर पर उड़ाना एक प्राचीन परंपरा है जो शांति और खुशहाली का प्रतीक है। पक्षी आसमान में ऊंचा उड़ता हुआ, एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता था।
इस दिन महाराजा के साथ ताजमी सरदार, खासा चौकी सरदार एवं जयपुर के पूर्व ठाकुर और ठिकानेदार भी उपस्थित थे। सभी ने महाराजा को दशहरा पर्व की शुभकामनाएं प्रेषित की और इस अद्भुत अवसर का आनंद लिया।
धूमधाम से मनाया गया विजयादशमी त्योहार
विजयादशमी का पर्व जयपुर के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है, और महाराजा सवाई पद्मनाभ सिंह के साथ इस पर्व को मनाना उनके लिए गौरव की बात है। इस दिन जयपुर की समृद्ध संस्कृति और परंपराएं जीवित हो उठती है।