Rajasthan By-elections: हनुमान बेनीवाल के गढ़ में सेंध लगाएगी BJP ? क्या है खींवसर सीट का हाल, जाने यहां
राजस्थान में 7 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं, लेकिन सभी की नजरें खींवसर सीट पर टिकी हैं। हनुमान बेनीवाल का गढ़ माने जाने वाले इस सीट पर बीजेपी, कांग्रेस और आरएलपी के बीच कड़ा मुकाबला होने वाला है।
राजस्थान में 7 सीटों पर उपचुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सभी दल सियासी समीकरण बिठाने में लगे हैं लेकिन सबकी नजरें नागौर के अंतर्गत आने वाली खींवसर सीट पर टिकी है। यहां 13 नंवबर को वोटिंग होगी। ये सीट हनुमान बेनीवाल का गढ़ मानी जाती है। नागौर से सांसद बनने के बाद उन्होंने विधायकी से इस्तीफा दे दिया था। इस सीट पर आरएलपी का कब्जा रहा है। 16 सालों में अभी तक पांच बार चुनाव हुए है जहां हनुमान बेनीवाल हजारों वोटों से जीते तो कभी उनके भाई नारायण बेनीवाल ने जीत का परचम लहराया। बीजेपी-कांग्रेस दोनों इस बात से वाकिफ है इस सीट को जीतना आसान नहीं रहने वाला इसलिए लोकसभा चुनाव के बाद से इस सीट पर सभी राजनीतिक दलों की नजरें थीं। वहीं, बेनीवाल ने लोकसभा चुनाव इंडिया गठबंधन के साथ लड़ा था लेकिन उपचुनाव में स्तिथी साफ नहीं है, ऐसे में हनुमान बेनीवाल क्या रणनीति अपनाते हैं इसका इंतजार हर किसी को है।
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जमीनी स्तर पर काम कर रही बीजेपी
खींवसर सीट पर भगवा लहराने की तैयारियां बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के बाद से शुरू कर दी थी। यहां से किसी टिकट दिया जाएगा, इसपर विचार किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने इसके लिए एक पैनल तैयार किया है, जहां जमीनी पकड़ और विकास रिपोर्ट कार्ड देकर प्रत्याशी का चयन किया जाएगा। उम्मीदवार के चयन के लिए लगातार बीजेपी संगठन खींवसर से लेकर नागौर जिला मुख्यालय में बैठक कर कर रहा है।
खींवसर पर कांग्रेस की दावेदारी
जहां तक कांग्रेस की बात करें तो खींवसर सीट से प्रत्याशी उतराने के लिए कई लोग लाइन में है हालांकि अभी तक ये कंफर्म नहीं हुआ है कि आरएलपी और कांग्रेस एक साथ मैदान में आएंगे या फिर अकेले प्रत्याशी उतारेंगे। कांग्रेस ने दोनों परस्थितियों को देखते हुए तैयारी की है। ऐसे में वह भी समीकरणों के हिसाब से अपने प्रत्याशी मैदान में उतार सकती है।
बेनीवाल का गढ़ खींवसर
खींवसर सीट पर हनुमान बेनीवाल का प्रभाव माना जाता है। 2023 के विभानसभा चुनावों में वह गठबंधन के साथ मैदान में थे। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी रेवंतराम डांगा को हराकर चौथी बार जीत हासिल की थी। इसके बेनीवाल लोकसभा चुनाव में उतरे और उन्होंने बीजेपी की ज्योति मिर्धा को मात दी। सांसद बनने के कारण ये सीट खाली हो गई। बता दें, इससे पहले 2019 में यहां पर उपचुनाव हुए थे,जहां हनुमान के छोटे भाई नारायण बेनीवाल ने जीत हासिल की थी। हनुमान बेनीवाल पहली बार 2008 में खींवसर से चुनाव जीते थे, उस वक्त उन्हें बीजेपी का साथ मिला था। इसके बाद वह 2013 में निर्दलीय तो 2018 में खुद की पार्टी आरएलपी के बैनर तले मैदान में उतरें। 2023 में वह फिर चुनावी मैदान में उतरे और विधायक बने,जबकि 2024 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने इंडिया गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा और जीत का परचम लहराया।