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Rajasthan: 'आपने जिसे चुना, उसने हिंदू धर्म का अपमान किया', किरोड़ी लाल मीणा का क्यों छलका दर्द, जानें मामला

Kirodi Lal Meena Viral Statement: डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने सवाई माधोपुर में महाराज मुरलीधर की रामकथा में भाग लिया और गापुरसिटी के विधायक के विवादित बयान पर जनता से सवाल उठाए। जानें राजस्थान में आदिवासी समाज और हिंदू धर्म से जुड़े विवाद के बारे में।

Rajasthan: 'आपने जिसे चुना, उसने हिंदू धर्म का अपमान किया', किरोड़ी लाल मीणा का क्यों छलका दर्द, जानें मामला

डॉ. किरोड़ी लाल मीणा शनिवार, 7 सितंबर को सवाई माधोपुर के दौरे पर पहुंचे, जहां वे बजरिया में आयोजित महाराज मुरलीधर की रामकथा में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कथावाचक महाराज मुरलीधर से आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. किरोड़ी लाल ने कहा कि जैसे आज के समय में राजनेता बदल गए हैं, वैसे ही जनता भी बदल गई है। उन्होंने गंगापुर सिटी का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां की जनता ने उस व्यक्ति को फिर से विधायक चुना, जिसने आदिवासी और मीणा समाज को हिंदू न मानने का बयान दिया था। उन्होंने जनता से सवाल किया कि अगर वह व्यक्ति फिर से चुनाव जीत गया, तो गलती किसकी है?

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उसे चुना जो मीणा और आदिवासी समाज को हिंदू नहीं मानता- किरोड़ी लाल मीणा 

डॉ. किरोड़ी ने कहा कि इतना बड़ा हिंदू समाज होने के बावजूद, गंगापुर  में भगवान राम और सनातन धर्म का अपमान करने वाला व्यक्ति चुनाव जीत गया। इस पर उन्होंने चिंता व्यक्त की और कहा कि यही कारण है कि आज की राजनीति में गिरावट देखने को मिल रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह कोई राजनीतिक भाषण नहीं दे रहे, बल्कि अपने मन की पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं। 

गंगापुर सिटी से कौन है विधायक ?

बीते साल हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में गंगापुर सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। यहां से  रामकेश मीणा विधायक हैं। जब उन्हें कांग्रेस से टिकट नहीं मिला था तब वह निर्दलीय मैदान में उतरे थे लेकिन जीतने के बाद कांग्रेस के साथ दोबारा जुड़ गए। वह अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। रामकेश मीणा ने आदिवासियों पर बयान देते हुए कहा था कि आदिवास हिदूं नहीं है और हिंदू हमारा धर्म नहीं है। जानबूझकर बीजेपी-आएसएस हमे हिंदू बनाकर गलत तरीके से उपयोग कर रहे हैं और भ्रांतियां फैला रहा हैं। विधानसभा में आदिवासी समाज के विधायक कई बार कह चुके हैं कि वह हिंदू नहीं है। कहा, भारतीय संविधान में भी आदिवासी समाज की अलग से व्याख्या की गई है, हिंदू विवाह अधिनियम हम पर लागू नहीं होता है तो स्पष्टीकरण देने की भी जरूरत नहीं है। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा था कि, बीजेपी-आरएसएस समाज के अन्य वर्गों में आदिवासी समाज के लिए गलत अवधारणा बना रहे हैं और इसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।  

सांसद राजकुमार रोत भी दे चुके हैं बयान

बता दें, आदिवासी समज के हिंदू न होने के मामले में बीते दिनों बांसवाड़ा लोकसभा सीट से चुनाव जीते राजकुमार रोत का भी बयान सामने आया था। उन्होंने कहा था कि आदिवासी समुदाय हिंदू नहीं है और न वह खुद को हिंदू मानते हैं। वह इंडिया गठबंधन के तहत चुनाव जीते थे। उन्होंने राजस्थान के दिग्गज आदिावासी नेताओं में शुमार महेंद्रजीत सिंह मालवीय को शिकस्त दी थी। एक इंटरव्यू के दौरान रोत ने कहा, मैं हिंदू नहीं हूं और आदिवासी धर्म हिंदू धर्म से अलग है।  उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म के अपने रीति-रिवाज और परंपराएं हैं, जबकि आदिवासी समुदाय की पहचान और परंपराएं अलग हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी समाज हिंदू धर्म को नहीं मानता। जब उनसे उनके नाम "राजकुमार" के बारे में सवाल किया गया और इसे हिंदू धर्म से जोड़ा गया, तो उन्होंने पूछा कि किस धार्मिक ग्रंथ में यह लिखा है कि "राजकुमार" नाम केवल हिंदू धर्म से जुड़ा है। उन्होंने आगे कहा कि आदिवासी समाज न तो हिंदू धर्म को मानता है और न ही ईसाई धर्म को। उनके बयान के बाद सोशल मीडिया पर हंगामा खड़ा हो गया था।