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रणथंभौर नेशनल पार्क में लगातार घट रही बाघों की संख्या, एक साल में 25 हुए गायब, एक क्लिक कर जानिए पूरा मामला

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघों के लापता होने की खबर लंबे समय से बाघ मॉनिटरिंग रिपोर्ट में आ रही थी। जिसको लेकर रणथंभौर टाइगर रिजर्व के सीसीएफ को कई पत्र लिखे गए।

रणथंभौर नेशनल पार्क में लगातार घट रही बाघों की संख्या, एक साल में 25 हुए गायब, एक क्लिक कर जानिए पूरा मामला

राजस्थान के सवाई माधोपुर में स्थित रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान इन दिनों चर्चा में है। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की लगातार घटती संख्या पर चिंता जताई गई है। जानकारी के अनुसार पिछले एक साल में 75 में से 25 बाघ लापता हो गए हैं। लापता बाघों का पता लगाने के लिए तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया गया है। जांच दल इस मामले में दो माह में अपनी रिपोर्ट मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक कार्यालय को सौंपेगा।

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रणथंभौर से एक साल में 25 बाघ-बाघिनों के लापता होने की खबर ने वन विभाग के अधिकारियों के होश उड़ा दिए हैं। बाघों के लापता होने की खबर विभागीय मॉनिटरिंग रिपोर्ट से आई है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक पी.के. उपाध्याय ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया है। यह जांच कमेटी दो माह में रणथंभौर से लापता हुए बाघों पर रिपोर्ट सौंपेगी।

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघों के लापता होने की खबर लंबे समय से बाघ मॉनिटरिंग रिपोर्ट में आ रही थी। जिसको लेकर रणथंभौर टाइगर रिजर्व के सीसीएफ को कई पत्र लिखे गए। साथ ही करीब एक साल से 14 बाघों की मौजूदगी के कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं।

जांच समिति का गठन

ऐसे में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पवन कुमार उपाध्याय ने जांच समिति का गठन किया है। आदेश के अनुसार जांच समिति में अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव अध्यक्ष, वन संरक्षक टी मोहनराज जयपुर और मानस सिंह उप वन संरक्षक भरतपुर को सदस्य नियुक्त किया गया है। यह जांच समिति बाघों के लापता होने के बाद सीसीएफ रणथंभौर द्वारा बाघों को खोजने के लिए किए गए प्रयासों की जांच करेगी। साथ ही समिति प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से अनुरोध करेगी कि यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी लापरवाही करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। समिति रणथंभौर की व्यवस्थाओं में खामियों को दूर करने के लिए अपने सुझाव भी देगी।

मॉनिटरिंग ठीक से नहीं हो रही थी

रणथंभौर से लगातार गायब हो रहे बाघों को लेकर वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना ​​है कि जिस तरह से बाघों की संख्या बढ़ रही है, बाघों को टेरेटरी के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल रही है, जिसके कारण बाघों में संघर्ष बढ़ रहा है और कमजोर बाघ रणथंभौर से बाहर जा रहे हैं। वहीं कई बार कमजोर बाघ की मौत भी मजबूत बाघ से संघर्ष के कारण हो जाती है। विभागीय अधिकारियों की कमजोर मॉनिटरिंग के कारण कई बार मृत बाघ नहीं मिल पाते और विभाग उस बाघ को लापता मान लेता है। वन्यजीव विशेषज्ञों और वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि रणथंभौर में अधिकारियों का ध्यान बाघ संरक्षण की बजाय पर्यटन पर है। ऐसे में सही मॉनिटरिंग और ट्रैकिंग के अभाव में बाघ लापता हो रहे हैं।

क्या कहा प्रताप सिंह खाचरियावास ने?

इस मामले पर कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि जहां भी भाजपा की सरकार आएगी, वहां बाघ गायब हो जाएंगे। भाजपा को किसी शेर, जानवर या गाय से कोई मतलब नहीं है। भाजपा को सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकनी आती है। उन्होंने कहा कि जब से राजस्थान में भाजपा की सरकार आई है, तब से चर्चा है कि जंगलों से बाघ गायब हो रहे हैं। अगर बाघ गायब हो गए तो राजस्थान के लोगों का क्या होगा? राजस्थान के जंगलों में बाघों की चर्चा पूरी दुनिया में होती है। राजस्थान सरकार को वन्यजीवों से कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि जो भाजपा सरकार बाघों और जंगलों को नहीं बचा सकती, वह किसी का भला नहीं कर सकती। जब भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।