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Rajasthan Kabir Yatra 2024: रेगिस्तान में जल्द गूंजेगी सूफी आवाज, लोकगीत और भक्ति की बहेगी बयार

राजस्थान कबीर यात्रा 2012 में लोकायन संस्थान, बीकानेर द्वारा शुरू की गई थी, और आज यह भारत के प्रमुख लोक संगीत महोत्सवों में से एक बन चुकी है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य संत कबीर, मीरा, बुल्ले शाह, और शाह लतीफ जैसे महान संत कवियों की शिक्षाओं और उनके संदेशों को जन-जन तक पहुंचाना है।

Rajasthan Kabir Yatra 2024: रेगिस्तान में जल्द गूंजेगी सूफी आवाज, लोकगीत और भक्ति की बहेगी बयार

राजस्थान में कबीर यात्रा 2024 के तहत 2-6 अक्टूबर को भक्ति और सूफी संतों की वाणी का महोत्सव आयोजित होगा। जल्द ही राजस्थान अपने समृद्ध इतिहास को दर्शाने वाले लोक गीतों से गूंजने वाला है। जहां कबीर, मीरा, बुल्ले शाह और रैदास के सत्संग और भक्ति गीतों के सत्संग में डुबकी लगेगी। साथ ही संतो के जीवन और उनके लिखे असंख्य पदों के गहरे अर्थ भी समझने का मौका मिलेगा।  राजस्थान कबीर यात्रा ऐसी ही भक्ति और सूफी संतों की वाणियों का महोत्सव है।

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क्या है यात्रा का मुख्य उद्देश्य
राजस्थान कबीर यात्रा 2012 में लोकायन संस्थान, बीकानेर द्वारा शुरू की गई थी, और आज यह भारत के प्रमुख लोक संगीत महोत्सवों में से एक बन चुकी है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य संत कबीर, मीरा, बुल्ले शाह, और शाह लतीफ जैसे महान संत कवियों की शिक्षाओं और उनके संदेशों को जन-जन तक पहुंचाना है। इस यात्रा की प्रासंगिकता आज के समय में और भी बढ़ जाती है, जब समाज में जाति, धर्म, और पहचान के आधार पर विभाजन बढ़ रहा है।

निदेशक गोपाल सिंह चौहान ने दी जानकारी
राजस्थान कबीर यात्रा के निदेशक गोपाल सिंह चौहान कहते हैं कि राजस्थान के लोक संगीत और आध्यात्म की एक बेजोड़ परंपरा हैं। जिसमें लोक सिर्फ मनोरंजन नहीं तलाशता बल्कि उस संगीत में एक गहरे दर्शन का भी इशारा है। सत्संग यानी 'सत्य के साधकों' की संगत। जहां सभी एक साथ कबीर और मीरा को गाते हैं। चौक-चौबारों पर गाए जाने वाली ये वाणियां अपने आप में सामूहिकता को समेटे हुए है, यह पूरा विचार ही लोक की समृद्ध परम्परा का जश्न है। ऐसे स्थान सभी प्रकार की लोक गायन धाराओं के सुंदर संगम है। यह भेदभाव से हटकर सभी समुदायों को एक साथ जोड़ते हैं, और जाति- धर्म की सीमाओं को भी तोड़ते है। इन वाणियों के माध्यम से हम लोक की समृद्ध अभिव्यक्ति को समझने की कोशिश करते है, क्योंकि इन गीतों से निकलने वाले संदेश महत्वपूर्ण है। यात्रा में गीतों के बाद उनकी व्याख्या पर लंबी चर्चा होती है।

सभी धर्मों के लोग आते हैं साथ 
कबीर जैसे संत कवियों का संदेश सभी बाधाओं को पार कर प्रेम, एकता, और समरसता को बढ़ावा देना है। कबीर कहते हैं:

जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं।
सब अंधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माहि॥                                                                                   

इस यात्रा के माध्यम से, विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग एक साथ आते हैं और संतों की वाणी में समाहित इस संदेश को आत्मसात करते हैं। यात्रा का उद्देश्य न केवल संगीत का आनंद लेना है, बल्कि इस विचार को प्रसारित करना है कि सभी धर्मों और पंथों का सार एक ही है—प्रेम, शांति, और मानवता।

संगीत और अध्यात्म का अनूठा समागम 
राजस्थान कबीर यात्रा एक संगीतमय उत्सव होने के साथ-साथ एक गहरा आध्यात्मिक अनुभव भी है। यात्रा के दौरान आयोजित होने वाले सत्संग, जागरण, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रतिभागी न केवल संगीत का आनंद लेते हैं, बल्कि संत कवियों के गहरे आध्यात्मिक संदेशों को भी समझते हैं। इस महोत्सव में शामिल होने वाले कलाकार लोक संगीत, शास्त्रीय संगीत, और सूफी गायन के माध्यम से श्रोताओं को भक्ति और सूफीवाद की गहराइयों में ले जाते हैं।

कला और संस्कृति का संगम
इस यात्रा का एक और महत्वपूर्ण पहलू है—स्थानीय कला और शिल्प का प्रदर्शन। राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से आए कलाकार अपनी कला, शिल्प, मूर्तियाँ, और चित्रकला के माध्यम से संत कवियों के संदेशों को प्रदर्शित करते हैं। यह यात्रा न केवल संगीत का, बल्कि कला और संस्कृति का भी एक अद्भुत संगम है।

यात्रा का संदेश
राजस्थान कबीर यात्रा का संदेश स्पष्ट है—सभी बाधाओं को पार कर प्रेम, शांति, और एकता की स्थापना करना। यह यात्रा हमें संतों की वाणी में छिपे गहरे अर्थों को समझने और उन्हें अपने जीवन में उतारने का अवसर देती है। आज, जब समाज में विभाजन और संघर्ष की स्थितियाँ बढ़ रही हैं, तब इस यात्रा की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। यह महोत्सव हमें एक ऐसे समाज की दिशा में अग्रसर करता है, जहां प्रेम और शांति की धारा बहती है।

2 अक्टूबर से 6 अक्टूबर आयोजन
इस साल मलंग फोक फाउंडेशन द्वारा राजस्थान कबीर यात्रा का आयोजन 2 अक्टूबर से 6 अक्टूबर तक बीकानेर और आस पास के ग्रामीण अँचलों में होने जा रहा है । यह यात्रा राजस्थान के बीकानेर के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित की जाएगी। ये शहर न केवल अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि यहां की सांस्कृतिक समृद्धि भी अद्वितीय है। यात्रा के दौरान, स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कलाकार अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से संत कवियों की वाणी को जीवंत करेंगे।

राजस्थान की धरती एक बार फिर भक्ति और सूफी संतों की वाणी से गूंजने वाली है। यह यात्रा न केवल संगीत प्रेमियों के लिए एक अद्भुत अवसर है, बल्कि उन सभी के लिए भी एक महत्वपूर्ण अनुभव है, जो सामाजिक सद्भाव, आध्यात्मिक चिंतन, और सांस्कृतिक समृद्धि में डूबना चाहते हैं।

गीतकार, संगीतकार रिकी केज भी यात्रा का हिस्सा
यात्रा के निदेशक गोपाल सिंह चौहान ने बताया कि इस बार 3 बार ग्रैमी पुरस्कार विजेता गीतकार, संगीतकार रिकी केज भी इस यात्रा का हिस्सा होने वाले हैं। लोकसंगीत के कलाकारों में महेशा राम जी, मूरालाला मारवाड़ा, लक्ष्मण दास, कालूराम बामनिया, भल्लू राम, सुमित्रा देवी, मीरा बाई, मांगी बाई, मीर बासु, मीर रज़ाक, अरुण गोयल, सकूर खान, पद्मश्रीअनवर खान, पद्मश्री भारती बंधु, चार यार, कबीर कैफे, फेरो फ्लूइड, हमीरा किड्स, श्रुति विश्वनाथ के अलावा अन्य कलाकारों के साथ स्थानीय कलाकार भी शामिल होंगे।