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Rajasthan By-Election: थप्पड़ कांड के बाद भी सोती रही पुलिस, इन 5 प्वाइंट्स में समझें कैसे हुआ प्रशासन फेल !

राजस्थान के देवली उनियारा उपचुनाव में नरेश मीणा ने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया जिसके बाद हिंसक प्रदर्शन हुए। समरावता गांव में भारी तनाव है। पुलिस प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

Rajasthan By-Election: थप्पड़ कांड के बाद भी सोती रही पुलिस, इन 5 प्वाइंट्स में समझें कैसे हुआ प्रशासन फेल !

राजस्थान में उपचुनाव के दिन देवली उनियारा सीट पर जमकर बवाल हुआ। कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़े रहे नरेश मीणा ने एसडीएम अधिकारी अमित चौधरी पर थप्पड़ जड़ दिया। जिसके बाद धीरे-धीरे मामला गरमाता गया और अब इसने राजनीतिक रूप ले लिया है। नरेश मीणा इस वक्त टोंक जेल में बंद हैं। गौरतलब है नरेश मीणा की गिरफ्तारी के विरोध में समर्थकों ने जमकर उत्पात मचाया। कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया, आगजनी की। समरावता गांव में भारी पुलिस फोर्स तैनात है। ऑन ड्यूटी नरेश मीणा का किसी अधिकारी के साथ मारपीट करना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता ठीक उसी तरह पुलिस प्रशासन ने जिस तरह का रवैया अपनाया उसे भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

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प्रशासन अमले की कमजोरी !

सबसे पहली नरेश मीणा ने थप्पड़ क्यों मारा! जब गांववालों की कोई बहुत बड़ी मांग होती है अक्सर वह मतदान का बहिष्कार कर देते हैं। ऐसा ही कुछ नजारा समरावता गांव में भी था। ग्रामीणों का कहना है, उनका गांव पहले उनियारा उपखंड में आता था वह देवली उपखंड में कर दिया गया है। नरेश मीणा ग्रामीणों के धरने का साथ देते हुए वहां बैठ गए और कलेक्टर को बुलाने की मांग पर अड़ गए। चुनावी दिन था, अधिकारियों का व्यस्त होना लाजमी है लेकिन बड़ी घटना से बचने के लिए प्रशासन ने इस धरने को गंभीरता से लेना तो दूर सोचा भी नहीं। इससे इतर नरेश मीणा के समर्थकों का आरोप है धरने के बीच ड्यूटी पर तैनात एसडीएम अमित चौधरी ने आंगनवाड़ी कार्यकरता सहित दो अन्य लोगों को ले जाकर मतदान करा दिया। जिससे बात बिगड़ गई। 

समरवता में बवाल पुलिस का फेलियर !

1) प्रशासन की पहली गलती, जैसे ही नरेश मीणा ने थप्पड़ मारा पुलिस फोर्स के रहते हुए भी उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। यहां तक पुलिसकर्मी मीणा को उनकी गाड़ी तक छोड़कर आये। 

2) इस घटनाक्रम के बाद नरेश मीणा वीडियो जारी कर लोगों से मतदान करने की अपील की और शाम को यहीं पर लाठी-डंडों के साथ विरोध प्रदर्शन करने का आह्वन किया। वीडियो वायरल होने के बाद भी प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। आखिर इस दूसरी घटना के बाद भी शांति व्यवस्थ बनाए रखने के लिए नरेश मीणा को डिटेन क्यों नहीं किया गया?

3) रात होते-होते समरावता में बवाल इतना बढ़ गया कि कई गाड़ियों और घरों को आग के हवाले कर दिय गया। पुलिस नरेश मीणा ने हिरासत में लिया था हालांकि खबरें आई वह फरार हो गए लेकिन इन खबरों पर विराम लगाते हुए उलटा नरेश मीणा ने पुलिस पर आरोप लगाया और कहा वह भागे नहीं थे। घायल होने पर उनके समर्थक 5 किलोमीटर दूर खेतों में ले गये थे। बीते दिन नरेश मीणा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। 

4) नरेश मीणा की गिरफ्तारी की खबर जैसे समर्थकों को लगी वह उग्र हो गये और जगह-जगह चक्का जाम कर आगजनी की। पुलिस को सिचुएशन कंट्रोल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। हालांकि ग्रामीणों का कहना है, गाड़ियों को आगे के हवाले पुलिस ने किया है। जिसके कई वीडियो सामने आये हैं। एक के बाद एक लग रहे आरोपों से प्रशासन की दूरदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। 

5) जैसे-जैसे घटना बड़ी होती गई स्थानीय प्रशासन डैमेज कंट्रोल करने में लगा रहे लेकिन स्थिति को संभालने के लिए कोई भी अनुभव वाले शीर्ष अफसरों का समरावता आना न भी सवाल पैदा करता है। मामला बिगड़ने पर आईजी-डीआईजी पहुंचते हैं तबतक बात हाथ से निकल चुकी थी। सोशल मीडिया समरावती के उस भयावह रात के वीडियो से पटे पड़े हैं। 

नरेश मीणा कांड पर राजनीति 

इससे इतर इस कांड में अब बीजेपी सरकार पर कांग्रेस हमलावर है। बीते दिनों पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा था कि जब वह कांग्रेस में आ चुके थे तो किसकी शह से चुनाव लड़ रहे थे। ऑन ड्यूटी अधिकारी को थप्पड़ मार दिया गया,सरकार का इकबाल कहा हैं। राजस्थान में सरकार कुछ नहीं कर रहे हैं। ऐसी स्थिति आखिर बनी क्यों। इस पर सरकार को जांच करनी चाहिए। बहरहाल, नरेश मीणा को एसडीएम को थप्पड़ मारना गुनाह है लेकिन जिस तरह चुनाव के दिन गांव वालों के प्रदर्शन को रोकने के लिए प्रशासनिक अमले को कदम नहीं उठाना चाहिए थे, गांव को आश्वसन नहीं देना चाहिए था। ये सबसे प्रश्न खड़ा हो रहा है। साथ ही जब ये घटना हो चुकी थी तो पुलिस प्रशासन सतर्क क्यों नहीं हुआ भीड़ को इकट्ठा कैसे होने दिया गया। फिलहाल इस घटना ने भजनलाल सरकार पर भी सवाल खड़े कर दिये हैं। देखना ये होगा प्रशासन नरेश मीणा पर क्या कार्रवाई करता है और किस तरह ये घटना शांत होती है।