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बांसवाड़ा में परमाणु पावर प्लांट की जमीन को लेकर आदिवासी और प्रशासन आया आमने-सामने, गुस्साएं गांव वालों ने सड़क की जाम

Rajasthan News: राजस्थान के बांसवाड़ा में परमाणु पावर प्लांट की जमीन को लेकर आदिवासी और पुलिस प्रशासन आमने-सामने आ गया है. इस मुद्दे पर अपनी मांगों को लेकर लोकसभा चुनाव में गांव वालों मतदान बहिष्कार भी किया था.

बांसवाड़ा में परमाणु पावर प्लांट की जमीन को लेकर आदिवासी और प्रशासन आया आमने-सामने, गुस्साएं गांव वालों ने सड़क की जाम
बांसवाड़ा में भीड़ को तितर बितर करती पुलिस

बांसवाड़ में बनने वाले न्यूक्लियर पावर प्लांट के निर्माण के लिए अब सरकार वहां रहने वाले जमीन खाली करना शुरू कर दिया है. जिसके लिए शुक्रवार को पुलिस की टीम गांव पहुंची और लोगों से जमीन खाली कराने पहुंची. जिससे गुस्साएं आदिवासियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. जिसके बाद पुलिस ने मौके पर लाठी चार्ज करते हुए गांव वालों तितर बितर किया.

दरअसल, सरकार द्वारा बांसवाड़ा जिले के छोटी सरवन क्षेत्र में 2800 मेगावाट न्यूक्लियर पावर प्लांट का प्रोजेक्ट प्रस्तावित है. जिसके लिए सरकार ने यहां जमीन पहले अधिग्रत कर रखी है. सरकार का कहना है कि गांव वालों को जमीन का मुआवजा दे दिया गया. लेकिन लोग जमीन खाली करने को तैयार नहीं हो रहे है. इसी कड़ी में शुक्रवार को गुस्साए गांव वालों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए सड़क जाम कर दी. जबकि प्रशासन द्वारा गांव वालों को पहले ही नोटिस जारी करके जमीन खाली करने को कहा गया था. लेकिन इसके बावजूद भी वे लोग अपने स्थान पर डटे रहे. तीन जिलों से भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा और प्रभावितों को जमीन खाली करने के लिए कहा गया था. पावर प्लांट का निर्माण सितंबर महीने से शुरू होने वाला है. इसलिए प्रशासन ने विस्थापन की प्रक्रिया जल्दी पूरा करना चाहता है.

सरकार 415 करोड़ रूपये का मुआवजा दे चुकी है

परमाणु पावर प्लांट का निर्माण शुरू होने से पहले इस क्षेत्र में पड़ने वाले 6 गांवों बारी, सजवानिया, रेल, खड़िया देव, आडीभीत और कटुम्बी आदि गांव में रहने वाले 3000 लोगों विस्थापित करना है. जिसके लिए सरकार द्वारा पहले 415 करोड़ रूपये मुआवजे के रूप में दिए जा चुके है. जिसके बदले में सरकार ने 553 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया है.

गांव वाले रोजगार की कर रहे मांग

जमीन खाली करने से पहले गांव वाले सरकार से मांग कर रहे है. यहां से विस्थापित होने वाले हर परिवार के युवा को यहां रोजगार दिया जाए. इसके साथ हर परिवार में हर एक व्यक्ति को अलग यूनिट मानकर आवास और रोजगार दिया जाए. इसके बाद ही वो जमीन खाली करने को तैयार होगे. इससे पहले गांव वालों ने अपनी मांगों को लेकर लोकसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार किया था.