करौली-धौलपुर और बीकानेर का चुनावी हाल समझिये, श्रीगंगानगर और सीकर में कौन दे रहा किसको टक्कर ?
करौली सीट पर एससी और एसटी वोटर काफी निर्णायक स्थिति में हैं। सांसद मनोज राजोरिया का टिकट काट कर भाजपा ने इंदु देवी को प्रत्याशी बनाया है। इंदु देवी करौली की रहने वाली हैं और प्रधान रह चुकी हैं। लोगों से उनका सीधा जुड़ाव रहा है। करौली क्षेत्र में इंदु देवी को इसका फायदा मिलेगा। भजनलाल जाटव भी दो बार विधायक और एक बार मंत्री रह चुके हैं। लेकिन, करौली में जनता अभी उन्हें सहज स्वीकार नहीं कर पा रही, क्योंकि वे रहने वाले भरतपुर जिले के हैं। वे धौलपुर क्षेत्र की चारों विधानसभा सीटों पर मजबूत स्थिति में रह सकते हैं।
करौली-धौलपुर: कांग्रेस यहां काफी मजबूत स्थति में है
करौली सीट पर एससी और एसटी वोटर काफी निर्णायक स्थिति में हैं। सांसद मनोज राजोरिया का टिकट काट कर भाजपा ने इंदु देवी को प्रत्याशी बनाया है। इंदु देवी करौली की रहने वाली हैं और प्रधान रह चुकी हैं। लोगों से उनका सीधा जुड़ाव रहा है। करौली क्षेत्र में इंदु देवी को इसका फायदा मिलेगा। भजनलाल जाटव भी दो बार विधायक और एक बार मंत्री रह चुके हैं। लेकिन, करौली में जनता अभी उन्हें सहज स्वीकार नहीं कर पा रही, क्योंकि वे रहने वाले भरतपुर जिले के हैं। वे धौलपुर क्षेत्र की चारों विधानसभा सीटों पर मजबूत स्थिति में रह सकते हैं।
जानकारों की मानें तो यहां एससी-एसटी वोटर निर्णायक स्थिति में रहते हैं। दोनों ही मजबूत प्रत्याशी हैं, लेकिन दोनों एक ही जाति से आते हैं। इसलिए जाटवों का वोट बैंक बंटेगा। एक करौली क्षेत्र में मजबूत है तो दूसरा धौलपुर में। इसलिए दोनों के बीच में कड़ी टक्कर लग रही है।हालांकि करौली-धौलपुर की 8 विधानसभा सीट में से 5 पर कांग्रेस, 1 पर बसपा और 2 पर भाजपा है। बीजेपी यहां मजबूत नहीं है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि करौली में पीएम मोदी की सभा के बाद माहौल बदल सकता है।
बीकानेर : जाट वोटर्स तय करेंगे हार और जीत
बीकानेर में इस बार भी बीजेपी ने मौजूदा कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को ही अपना प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने उनके सामने राजस्थान सरकार में मंत्री रहे गोविंदराम मेघवाल को उतारा है।गोविंदराम मेघवाल हाल में खाजूवाला सीट से विधानसभा चुनाव हार गए थे। अर्जुनराम मेघवाल लगातार 3 बार से सांसद बने हुए हैं। वर्तमान में यहां बीजेपी मजबूत दिख रही है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में यहां बीजेपी को लोकसभा क्षेत्र की 8 विधानसभा में से 6 सीटों पर जीत मिली थी। विधानसभा चुनावों से सबक लेते हुए कांग्रेस ने यहां अपने बागी जाट नेताओं को दुबारा से अपने साथ कर लिया है।
श्रीगंगानगर में मजबूत दिख रहीं प्रियंका बैलान
श्रीगंगानगर सीट पर बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदलकर सबको चौंकादिया है। भाजपा ने इस बार यहां से 4 बार के सांसद निहालचंद मेघवाल का टिकट काट अनूपगढ़ नगर परिषद की सभापति प्रियंका बैलान को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने कुलदीप इंदौरा को प्रत्याशी बनाया है। इंदौरा श्रीगंगानगर जिला प्रमुख भी हैं और राजनीतिक परिवार से आते हैं। इंदौरा अनूपगढ़ विधानसभा से 2 बार विधायक का चुनाव भी लड़ चुके हैं। दोनों ही बार हार का सामना करना पड़ा था।
BJP प्रत्याशी प्रियंका बैलान का ससुराल अरोड़वंश समुदाय में है। कांग्रेस उनके जनरल कैटेगरी वाले परिवार की बहू होने का मुद्दा जोर-शोर से उठा रही है। कांग्रेस का दावा है कि एससी रिजर्व सीट पर भी बीजेपी जनरल प्रत्याशी का कब्जा करवाना चाहती है।प्रियंका बैलान की नामांकन रैली में BJP MLA गुरवीर बराड़ और जिलाध्यक्ष शरणपाल सिंह के बीच मंच पर खुलेआम प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के सामने हुई नोकझोंक से पार्टी की गुटबाजी भी सामने आ गई थी। हालांकि बाद में इसे ठीक करने की कवायद की गई थी।
सीकर : भाजपा के लिए कांग्रेस-सीपीएम का गठबंधन बड़ी चुनौती
सीकर लोकसभा सीट पर खास चर्चा है- ‘ जहां से कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा खुद आते हैं, उस सीट पर कांग्रेस को गठबंधन क्यों करना पड़ा।’
सीकर सीट पर कांग्रेस ने सीपीएम प्रत्याशी अमराराम को समर्थन दिया है। वहीं भाजपा ने दो बार से इस सीट पर जीत रहे सुमेधानन्द सरस्वती को ही तीसरी बार मौका दिया है।
दोनों प्रत्याशियों को देखें तो साफ है कि भाजपा और कांग्रेस गठबंधन ने सामाजिक समीकरणों को भी साधने का प्रयास किया है।सुमेधानंद की बात करें तो जातीय समीकरण के साथ अल्पसंख्यक वर्ग से भी एक धड़ा उनके पक्ष में खड़ा दिखाई दे रहा है।सीपीएम के अमराराम सातवीं बार मैदान में हैं। पिछले 6 लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अमराराम, धोद और दांतारामगढ़ से विधायक रह चुके हैं। दांतारामगढ़ सीट से लगातार दो विधानसभा चुनाव हार चुके हैं।