राजस्थान के पहले चरण में होने वाले मतदान में कौन है मजबूत, किसको मिलेगी हार
राजस्थान में दो चरणों में मतदान होना तय हुआ है पहला चरण में 12 सीटों पर मतदान होना है वहीं दूसरे चरण में 13 सीटों पर चुनाव होना तय है, हम आज पहले चरण की बात करते है। पहले फेज में श्रीगंगानर, बीकानेर, चूरू, नागौर, झुंझुनूं, सीकर, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, अलवर,भरतपुर, दौसा, करौली और धौलपुर में मतदान होना है, पहला चरण इस बार काफी रोचक है। नागौर और चूरू हॉट सीट बनी हुई है।कहीं राम मंदिर का मुद्दा है तो कहीं पर जातीय समीकरण कैंडिडेट की जीत का कारण बन रहे हैं। पहले चरण की इन सीटों का हाल जानिए...
राजस्थान में दो चरणों में मतदान होना तय हुआ है पहला चरण में 12 सीटों पर मतदान होना है वहीं दूसरे चरण में 13 सीटों पर चुनाव होना तय है, हम आज पहले चरण की बात करते है। पहले फेज में श्रीगंगानर, बीकानेर, चूरू, नागौर, झुंझुनूं, सीकर, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, अलवर,भरतपुर, दौसा, करौली और धौलपुर में मतदान होना है, पहला चरण इस बार काफी रोचक है। नागौर और चूरू हॉट सीट बनी हुई है।कहीं राम मंदिर का मुद्दा है तो कहीं पर जातीय समीकरण कैंडिडेट की जीत का कारण बन रहे हैं। पहले चरण की इन सीटों का हाल जानिए...
जयपुर शहर : राम मंदिर और हिंदू वोटों की लामबंदी
जयपुर शहर की सीट पर बीजेपी ने दिग्गज नेता रहे भंवरलाल शर्मा की बेटी मंजू शर्मा को प्रत्याशी बनाया है वहीं कांग्रेस ने पहले सुनील शर्मा को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उनके आरएसएस समर्थक संस्था के मंच पर जाने के पुराने वीडियो से उठे विवाद के बाद उन्होंने टिकट लौटा दिया। कांग्रेस ने बाद में पूर्व मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास को उम्मीदवार बनाया। इस विवाद से कांग्रेस को परसेप्शन के मोर्चे पर काफी नुकसान उठाना पड़ा। समीकरणों के हिसाब से यहां बीजेपी को मजबूत माना जा रहा है। शहरी सीट होने के कारण राम मंदिर, हिंदुत्व और मोदी फैक्टर हावी है। अल्पसंख्यक इलाकों में कांग्रेस का दावा मजबूत है, लेकिन शहर में हिंदू वोटर्स को बीजेपी लामबंद कर रही है। जयपुर लोकसभा सीट में 8 विधानसभा सीटों में से 6 पर बीजेपी काबिज है। कांग्रेस केवल किशनपोल और आदर्श नगर सीट जीत पाई थी। लोकसभा में भी समीकरण वही है।
जयपुर ग्रामीण सीट: कांग्रेस को मिल सकता है फायदा
जयपुर ग्रामीण सीट पर बीजेपी ने पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेंद्र सिंह को टिकट दिया है। कांग्रेस ने सचिन पायलट समर्थक युवा नेता अनिल चोपड़ा को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर कांग्रेस-बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर दिख रही है। राव राजेंद्र सिंह को बीजेपी के मजबूत कैडर का समर्थन और राम मंदिर के मुद्दे की वजह से शहर-कस्बों में फायदा हो रहा है। कांग्रेस उम्मीदवार को युवा और नए चेहरे का फायदा होता दिख रहा है। ग्रामीण इलाकों में जातीय फैक्टर की वजह से समीकरण अनिल चोपड़ा के पक्ष में है। जातीय गोलबंदी भी यहां रिजल्ट तय करेगी।
जयपुर ग्रामीण में विधानसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस-बीजेपी कड़ी टक्कर में थी। जयपुर ग्रामीण की आठ विधानसभा सीटों में से 4 पर कांग्रेस और 4 पर बीजेपी जीती थी। विधानसभा चुनाव की तुलना में कई सीटों पर समीकरण बदले हैं।
दौसा : कांग्रेस का पक्ष काफी मजबूत दिख रहा है
दौसा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है। कांग्रेस ने दौसा से विधायक मुरारीलाल मीणा को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी ने बस्सी से पूर्व विधायक कन्हैया लाल मीणा को मैदान में उतारा है। दौसा सीट पर उम्मीदवार के हिसाब से मुरारीलाल मीणा को मजबूत माना जा रहा है। कन्हैया लाल मीणा अब तक बस्सी से बाहर सक्रिय नहीं रहे। गुर्जर, मीणा, दलित और मुस्लिम वोटर्स के समीकरणों की वजह से कांग्रेस का पक्ष मजबूत दिख रहा है, लेकिन भीतरघात की भी आशंका है। बीजेपी में डॉ. किरोड़ीलाल मीणा फैक्टर भी अहम रहेगा। मुरारीलाल मीणा, सचिन पायलट खेमे के नेता हैं। पायलट ने भी इस सीट पर पूरी ताकत लगा रखी है। शुक्रवार को पीएम मोदी के रोड शो के बाद भाजपा की उम्मीदें बढ़ गई हैं। विधानसभा चुनाव में समीकरण बीजेपी के पक्ष में थे, लेकिन लोकसभा चुनाव में समीकरण बदले हुए हैं। जातीय और स्थानीय समीकरण बीजेपी के पक्ष में उतने नहीं हैं, जितने विधानसभा चुनाव के वक्त थे। दौसा लोकसभा क्षेत्र में आठ में से 5 विधानसभा सीटें बीजेपी को मिली थीं। बस्सी, थानागाजी, दौसा सीटें कांग्रेस के पास हैं। दौसा ऐसी लोकसभा सीट है, जिसमें तीन जिलों (जयपुर, अलवर और दौसा) की विधानसभा सीटें आती हैं।
भरतपुर : जाट वोटर्स तय करेंगे जीत और हार
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह जिले और लोकसभा क्षेत्र भरतपुर में पिछले दो बार से बीजेपी कब्जा जमा रही है। इस बार क्षेत्र की 8विधानसभा सीटों में से 5 भाजपा के खाते में हैं। बयाना की निर्दलीय विधायक ऋतु बनावत ने भाजपा को समर्थन दे रखा है। भरतपुर शहर की सीट आरएलडी के पास है, जो इस बार बीजेपी के साथ गठबंधन में है।भरतपुर सीट पर जाट आरक्षण आंदोलन की हवा बह रही है। क्षेत्र में करीब 5 लाख जाट वोटर्स हैं। ओबीसी में शामिल करने को लेकर जाटों में बीजेपी के प्रति नाराजगी है। इसका असर वोट बैंक पर भी पड़ सकता है। वहीं, इस लोकसभा क्षेत्र में करीब 3.50 लाख जाटव वोटर्स हैं, जो एक बड़ा वर्ग है। कांग्रेस कैंडिडेट संजना इसी समाज से हैं। वहीं, कोली समाज के करीब 70 हजार वोट हैं।
मूल रूप से भुसावर की रहने वाली संजना जाटव कठूमर से महज 409वोटों से विधानसभा चुनाव हार गई थीं। लेकिन, क्षेत्र में प्रियंका गांधी के अभियान ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ में संजना ने काफी काम किया था। इससे उनकी पकड़ मजबूत हुई है। उधर, भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप कोली बयाना (अब भरतपुर) सीट से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। उन्हें कांग्रेस की महिला चेहरे के सामने क्षेत्र में बीजेपी की मजबूती और ब्लॉक लेवल पर टीम का सहारा है।