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यूपी की सीटों पर टिकी दिल्ली की सत्ता, उलटफेर हुआ तो बिगड़ जाएगा BJP का खेल !

यूपी की बात करें तो सियासत में एक कहावत है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. यह बात कहने के पीछे मजबूत तर्क भी है क्योंकि देश की सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें यूपी की ही हैं. 

यूपी की सीटों पर टिकी दिल्ली की सत्ता, उलटफेर हुआ तो बिगड़ जाएगा BJP का खेल !

यूपी की बात करें तो सियासत में एक कहावत है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. यह बात कहने के पीछे मजबूत तर्क भी है क्योंकि देश की सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें यूपी की ही हैं. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन दोनों ने ही उत्तर प्रदेश में पूरी ताकत झोंक रखी है. यूपी में इस बार कांटे का मुकाबला माना जा रहा है. ऐसे में कई ऐसी सीटे हैं, जिन्हें लेकर बीजेपी में भी टेंशन बनी है. अगर इन सीटों पर मतदाता सियासी करवट बदलते हैं, तो फिर बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा परेशानी खड़ी हो जाएगी.

यूपी में क्या 2024 में खेला !
बात करें उत्तर प्रदेश की, तो यहां की 80 सीटों के लिए 7 चरणों में वोटिंग तय की गई. क्योंकि यूपी जनसंख्या  और राजनीतिक दृष्टि से भी सबसे बड़ा राज्य माना जाता है, तो इस लिहाज से राजनीतिक दलों की विशेष नजर यूपी पर बनी रहती है. एक कहावत है कि दिल्ली के सिंहासन का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है. यह बात कहने के पीछे मजबूत तर्क है कि देश की सबसे ज्यादा 80 सीटें यहीं हैं.

पंडित जवाहर लाल नेहरू से इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी तक यूपी से ही जीतकर प्रधानमंत्री बने. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन दोनों ने ही उत्तर प्रदेश में पूरी ताकत झोंक रखी है.

19 अप्रैल से देश में मतदान शुरू हुआ था. जिसमें यूपी में पहले और दूसरे चरण में 8, तीसरे चरण में 10, चौथे चरण में 13, पांचवें में 14 और छठे चरण में  14 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. अब 1 जून को सातंवे और अंतिम चरण में 13 सीटों पर मतदान होना है. यूपी में इस वक्त योगी सरकार है यानि भारतीय जनता पार्टी का दबदबा है. इस दबदबे को बरकार रखने के लिए बीजेपी हर संभव कोशिशों में है. वहीं यूपी से बीजेपी को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए मुख्य रूप से सामाजवादी पार्टी,कांग्रेस, विपक्षी महागठबंधन और बसपा सामने है.

बीजेपी के सामने यूपी में कई चुनौतियां हैं. उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 31 सीटों पर जीत का मार्जिन एक लाख से कम है. बीजेपी ने सूबे में 64 सीटों पर जीत हासिल की थी. चार सीटें ऐसी हैं, जिन पर हार जीत का अंतर दस हजार से कम था. इस बार कांग्रेस-सपा मिलकर चुनावी मैदान में उतरी हैं. अखिलेश यादव ने अपने मुस्लिम-यादव समीकरण को जोड़े रखते हुए पीडीए फॉर्मूले का दांव चला है. यूपी में इस बार कांटे का मुकाबला माना जा रहा है. सूबे में ढाई दर्जन लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जिस पर देश की सत्ता टिकी हुई है. इन सीटों पर कुछ वोटों के उलटफेर से 2024 के चुनाव का सियासी गणित बीजेपी का गड़बड़ा सकता है.

2019 के चुनाव पर एक नजर
80 लोकसभा सीट
एनडीए- 64 
सपा- 5 
बसपा- 10
कांग्रेस-1

पिछले चुनाव के नतीजे का विश्लेषण करते हैं, तो 31 सीटों पर जीत-हार का अंतर एक लाख वोट या फिर उससे कम का था. कम मार्जिन वाली 31 सीटों में से 22 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. तो 6 सीट बसपा, दो सीट सपा और एक सीट अपना दल (एस) ने जीती थी. ऐसे में अगर इन सीटों पर मतदाता सियासी करवट बदलते हैं तो फिर बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा परेशानी खड़ी हो जाएगी और उसके बाद मायावती को टेंशन पैदा कर सकती है. मोदी लहर पर सवार बीजेपी 2014 में यूपी की 80 में से 71 सीटें जीतने में कामयाब रही थी तो 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के बावजूद 62 सीटें जीतने में सफल रही थी. दोनों ही चुनाव में बीजेपी के सहयोगी अपना दल (एस) को दो-दो सीटें मिली थी. विपक्ष कोई खास करिश्मा पिछले दो चुनाव से नहीं दिखा सका है, लेकिन इस बार कांग्रेस-सपा मिलकर चुनावी मैदान में उतरी हैं.

अखिलेश यादव ने अपने मुस्लिम-यादव समीकरण को जोड़े रखते हुए पीडीए फॉर्मूले का दांव चला है, जिसका मतलब पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक है. इतना ही नहीं सपा ने इस बार के चुनाव में गैर-यादव ओबीसी पर सबसे ज्यादा दांव खेला है, जिसके चलते माना जा रहा है कि बीजेपी के कोर वोट बैंक में सेंधमारी की रणनीति है. यूपी की लोकसभा सीटें ही इस बार सत्ता का मिजाज तय करने वाली हैं, क्योंकि बीजेपी पिछले दो बार से सूबे की ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर अपने नाम किया है. ऐसे में एक लाख से कम मार्जिन वाली 31 सीटें राजनीतिक दलों की धड़कने बढ़ाए हुए हैं, जिससे ज्यादा चिंता बीजेपी को है. 22 सीटें बीजेपी के पास हैं. ऐसे में इन सीटों पर कुछ वोट अगर इधर से उधर हुए या फिर किसी अन्य के खाते में गए तो बीजेपी के लिए अपनी सीटों को बचाना मुश्किल हो जाएगा.