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माता सीता के तप के तेज से उत्पन्न हुई थी ये माता, इन्हीं के आशीर्वाद से हुआ लव-कुश का जन्म

माता सीता ने तब यहां पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए तप किया था. माता सीता के कठोर तप से ही तपेश्वरी माता प्रकट हुईं थीं. माता के आशीर्वाद से लव- कुश का जन्म हुआ.

माता सीता के तप के तेज से उत्पन्न हुई थी ये माता, इन्हीं के आशीर्वाद से हुआ लव-कुश का जन्म

नवरात्र पर्व मंगलवार से शुरू हो गया। पहले दिन कलश स्थापना के जरिए भक्त मां भवानी का आह्वान करेंगे। इसके लिए ज्योतिषाचार्यों ने भक्तों को सहूलियत के अनुसार कई मुहूर्त भी सुझाए हैं। उधर शहर के देवी मंदिर भी भक्तों की भीड़ और दर्शन के लिए सज गए हैं। इसके अलावा भक्तों की सुरक्षा के लिए भी विशेष इंतजाम किए गए हैं। नवरात्र पर देवी मंदिरों में सजावट कर उन्हें भव्यता प्रदान की गई है। नवरात्र के पहले दिन सुबह घर पर पूजन के बाद शाम को देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ने की तैयारी है। खासतौर पर बिराहना रोड स्थित तपेश्वरीदेवी मंदिर में भक्तों की सहूलियत के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। मंदिर में आने वाले पुरुष व महिला भक्तों के लिए अलग-अलग लाइन की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा मंदिर में सुरक्षा के लिहाज से 22 कैमरों के जरिए नजर रखी जाएगी। इसके लिए मंदिर परिसर में कंट्रोल रूम भी बनाए गए हैं।

माता सीता ने किया था तप

कानपुर के बिरहाना रोड में स्थापित तपेश्वरी माता मंदिर आस्था का प्रतीक है. जहां मंदिर स्थापित है वहां पहले कभी जंगल था और मां गंगा भी वहीं से बहा करती थीं,. इसी घने जंगल में माता सीता ने पूजा की थी. जब भगवान राम अयोध्या पहुंचे तो धोबी के ताना मारने पर माता सीता को उन्होंने त्याग दिया था. श्री राम के आदेश पर लक्ष्मण माता सीता को लेकर वाल्मीकि आश्रम के पास छोड़ गए. गंगा के किनारे होते हुए माता सीता घने जंगल में पहुंचीं.

तपेश्वरी माता के आशीर्वाद से हुआ लव-कुश का जन्म

माता सीता ने तब यहां पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए तप किया था. माता सीता के कठोर तप से ही तपेश्वरी माता प्रकट हुईं थीं. माता के आशीर्वाद से लव- कुश का जन्म हुआ. इसके बाद माता सीता ने मां के समक्ष ही दोनों पुत्रों का मुंडन कराया था. तपेश्वरी मंदिर नागर शैली में बनाया गया है. इस मंदिर में मां की चार प्राचीन प्रतिमा स्थापित हैं.