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गांधी परिवार के दो लड़के राहुल और वरूण, किसकी किस्मत और किसकी काबिलियत ?

गांधी परिवार के दो लड़के एक राहुल गांधी और दूसरे वरूण गांधी. दोनों ने लगभग साथ में ही अपनी सियासत का सफर शुरू किया था. दोनों ही सियासी अखाड़े में डटे हुए हैं.

गांधी परिवार के दो लड़के राहुल और वरूण, किसकी किस्मत और किसकी काबिलियत ?

गांधी परिवार के दो लड़के एक राहुल गांधी और दूसरे वरूण गांधी. दोनों ने लगभग साथ में ही अपनी सियासत का सफर शुरू किया था. दोनों ही सियासी अखाड़े में डटे हुए हैं. 'सबके अपने-अपने रास्ते हैं, अपनी-अपनी किस्मत. अगर काबिलियत है तो सब अपना रास्ता ढूंढेंगे' सुलतानपुर से BJP के टिकट पर उम्मीदवारी कर रहीं मेनका गांधी ने भतीजे राहुल और बेटे वरूण गांधी को लेकर ये बातें कहीं.

राहुल गांधी की जबसे राजनीति में एंट्री हुई है तभी से राहुल और कांग्रेस पार्टी तमाम आलोचनाओं का सामना करती आ रही है और अब तो बीजेपी ने ये कहकर कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है कि कांग्रेस हर बार चुनाव में राहुल गांधी को लॉन्च करती है. राहुल के पीछे पूरी ताकत लगाती है और फेल हो जाती है.

गांधी परिवार के दो लड़के एक राहुल गांधी और दूसरे वरूण गांधी. दोनों के सियासी सफर को देखें तो कहा जाता है कि राहुल गांधी को तमाम मौके मिलने के बावजूद वो सियासी अखाड़े में कोई कमाल नहीं कर पा रहे हैं. तो वहीं वरूण गांधी को मौको की तलाश है. राहुल की बात करें तो राहुल गांधी ने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत साल 2004 से की थी. साल 2004 में अमेठी से राहुल ने सांसदी का चुनाव लड़ा था. इसके बाद से ही वो कांग्रेस पार्टी के बड़े फैसलों, बड़ी बैठकों में हर जगह शामिल होने लगे.

राहुल गांधी का राजनीतिक सफर

साल 2004 में अमेठी से सांसदी का चुनाव लड़ा, हार गए.
2013 में पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया.
2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की बुरी हार हुई.
2017 में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए.
2019 में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.

2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार के बाद कांग्रेस में खलबली मच गई थी. कांग्रेस में अंतर्कलह भी सामने आने लगी थी. कांग्रेस पर परिवारवाद के आरोप तो लगते ही आए हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि कांग्रेस राहुल को देश का प्रधानमंत्री बनाने की कोशिशे शुरूआत से ही करती आई है. राहुल गांधी को पीएम फेस की तरह देश की जनता के सामने लाई है. जिसकी तस्वीर एक बार फिर 2024 के रण में भी दिखाई दे रही है. वहीं एक नजर वरूण गांधी के सियासी सफर पर भी डालते हैं

वरूण गांधी का सियासी सफर 
वरुण गांधी बीजेपी की सांसद मेनका गांधी के बेटे हैं.
मेनका गांधी ने 2004 में बीजेपी का दामन थामा था.
वरुण का भी राजनीतिक सफर BJP के साथ शुरू हुआ.
2009 में पीलीभीत से सांसदी का चुनाव लड़ा और जीते.
2014 और 2019 में भी पीलीभीत सीट से जीत दर्ज की.

लेकिन मेनका गांधी को मंत्री नहीं बनाने की वजह से वरुण गांधी की नाराजगी साफ तौर पर देखी गई. इसके बाद मेनका गांधी को बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी जगह नहीं दी गई और वरुण गांधी पार्टी के खिलाफ खुलकर मैदान में आ गए. पार्टी के ज्यादातर फैसले पर उन्होंने न केवल नाराजगी जताई, बल्कि खुले मंच से पार्टी के खिलाफ जमकर बयानबाजी की. हालांकि एक वक्त जब राजनाथ सिंह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ करते थे तो वरुण गांधी की पार्टी में कई पदों पर जगह दी गई थी. इस बीच काफी चीज़ें बदलीं और  काबिलयत होने के बावजूद वरूण गांधी को वो जगह नहीं मिली जो वो चाहते थे. वहीं राहुल गांधी के लिए कांग्रेस का स्पेशल ट्रीटमेंट साफ दिखाता है. जिस वजह से बीजेपी 'शहजादा' टैग भी दे चुकी है. लेकिन तस्वीर साफ है कि एक तरफ राहुल हैं, जिनके कंधों पर सियासी विरासत को बचाने का बोझ है. तो वहीं वरूण गांधी हैं जो गांधी परिवार के ही बेटे हैं और अवसर की तलाश में हैं.