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चीन को भारत देगा 'ओपन चैलेंज' लेकिन मोदी सरकार के अभियान की होगी 'मिट्टी पलीद', पढ़ें इस रिपोर्ट में

Great Nicobar Project Controversy: भारत सरकार के 72000 करोड़ के ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट में 9.6 लाख पेड़ों को कटा जाएंगा. इसकी पुष्टि केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने की है. जानिए ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट क्या है, इससे भारत को क्या फायदा होगा और विपक्ष क्यों इसका विरोध कर रहा है. 

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ग्रेट निकोबार

भारत जहां एक ओर पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पीएम मोदी एक पेड़ मां के नाम से अभियान चला रहा है. वहीं दूसरी भारत सरकार के ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट में 9.6 लाख पेड़ काटे जाएंगे. इसकी पुष्टि खुद केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सांसद में दिए अपने जवाब में की है. साल 2021 में नीति आयोग द्वारा इस प्रोजेक्ट का प्रस्ताव मोदी सरकार के सामने रखा गया था. जिसके बाद साल 2022 में सरकार ने इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखाई थी. देश के निकोबार द्वीपसमूह के दक्षिण में ग्रेट निकोबार स्थित है. जिसके 910 किमी के इलाके में इस प्रोजेक्ट का काम हो रहा है. इस प्रोजेक्ट में 72000 करोड़ रूपये खर्च किए जाएंगे.

क्या है ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट ? 

इस प्रोजेक्ट के तहत निकोबार द्वीपसमूह के दक्षिण में एक शहर का विकास किया जा रहा है. जिसमें दुनिया भर के जहाज आ कर रूक सके. जिससे आयात-निर्यात किया जा सके. इसके तहत शहर में एक अंतरराष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल बनाने की योजना है. अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने के साथ 450 मेगावाट का बड़ा पावर प्लांट भी लगाया जाएगा. इस शहर में लोगों के लिए रहने के लिए सभी जरूरी सुविधाएं देने की योजना है. इस तरह देश के लिए यह बड़ा प्रोजेक्ट है.

विपक्ष लगातार कर रहा है प्रोजेक्ट का विरोध

ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट के खिलाफ कांग्रेस कई बार विरोध कर चुकी है. इस साल जून में भी कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया था. इस प्रोजेक्ट को लेकर कांग्रेस ने कई वजह खिनाए है. कांग्रेस का कहना है कि प्रोजेक्ट को हकीकत बनाने के लिए यहां ज्यादा सैनिक की तैनात होगी, हवाई जहाज उतरेंगे, मिसाइल के साथ सेना की टुकड़ियों की तैनाती होगी. यह इलाका राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम हो जाएगा. प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इतनी उथल-पुथल के कारण यहां रहने वाले आदिवासी समुदायों के रहने का तरीका बदलेगा. उनका जनजीवन प्रभावित होगा.

उनके अधिकार छिन जाएंगे. पेड़ काटे जाएंगे. 130 वर्ग किलोमीटर का जंगल खत्म हो सकता है. कांग्रेस का तर्क है कि इस प्रोजेक्ट के लिए सभी तरह की मंजूरी लेने में सही तरीका नहीं अपनाया गया है. आदिवासी समुदायों के अधिकार और उनसे जुड़े कानूनों का उल्लंघन किया गया है. निष्पक्ष समिति से इसकी जांच कराई जानी चाहिए.