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मां काली का अनोखा मंदिर जहां प्रसाद में लगता है नूडल्स का भोग

भारत को मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों का देश कहा जाता है. यहां कई मंदिर हैं, जिनकी परंपरा भी अलग-अलग और अनोखी है. इन अलग परंपराओं की वजह से ही देश में कई ऐसे मंदिर हैं जो काफी प्रसिद्ध हुए हैं. ऐसा ही एक मंदिर है कोलकाता में जहां पर मां काली को नूडल्स का भोग लगाया जाता है.

मां काली का अनोखा मंदिर जहां प्रसाद में लगता है नूडल्स का भोग

भारत को मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों का देश कहा जाता है. यहां कई मंदिर हैं, जिनकी परंपरा भी अलग-अलग और अनोखी है. इन अलग परंपराओं की वजह से ही देश में कई ऐसे मंदिर हैं जो काफी प्रसिद्ध हुए हैं. ऐसा ही एक मंदिर है कोलकाता में जहां पर मां काली को नूडल्स का भोग लगाया जाता है. चौंकिए नहीं ये हकीकत है क्योंकि इस मंदिर की देखरेख करने वाला समुदाय भी इंडोचाइनीज़ कम्यूनिटी से ताल्लुक रखता है.

कैसे पहुंचे मंदिर तक

कोलकाता के टेंगरा इलाके में मां काली का यह मंदिर स्थित है. इस इलाके को  इलाका चाइना टाउन के नाम से भी जाना जाता है. बताया जाता है कि यह मंदिर करीब 60 साल पुराना है. इस मंदिर में हिंदूओं के साथ ही चाइनीज लोग काफी आस्था रखते हैं. मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पहले एक पेड़ के नीचे पत्थरों पर सिंदूर लगाकर पूजा की जाती थी. इसके बाद यहां मंदिर का निर्माण हुआ और फिर उसमें काली मां की प्रतिमा स्थापित की गई.

चीनी बच्चे को मिला था जीवनदान

मान्यता है कि यहां एक बार एक चीनी परिवार के 10 साल के बच्चे की तबियत काफी खराब हो गई. डॉक्टरों ने जब जवाब दे दिया तो बच्चे के परिवार ने पेड़ के नीचे बने उस स्थान पर बच्चे को लिटाकर प्रार्थना की. कहा जाता है कि मां काली ने उनकी प्रार्थना सुनी और बच्चे को जीवनदान दिया. जिसके बाद उस स्थान पर मां काली का मंदिर बनवाया गया. यहां मां काली की मूर्ती तो स्थापित है ही साथ ही वो दो काले पत्थर आज भी उसी स्थान पर मौजूद हैं. इस इलाके में चाइनीज कम्यूनिटी के लोग काफी रहते हैं इसलिए इस मंदिर में ये समुदाय काफी आस्था रखता है.

 

मां काली को लगता है नूडल्स का भोग

खास बात यह है कि इस मंदिर में प्रसाद के तौर पर नूडल्स, चाऊमीन, फ्राइड राइज, मंचूरियन जैसी चीजें दी जाती हैं. मंदिर में पूजा हिंदू परंपरा के अनुसार ही होती है लेकिन काली मां की अराधना के समय कैंडल्स जलाई जाती हैं. इसके अलावा यहां हैंडमेड पेपर जलाने की भी परंपरा है.