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Rajasthan News: हादसों का हॉटस्पॉट बना दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे, मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे, जिसे एक अद्भुत विकास परियोजना के रूप में पेश किया गया था, अब हादसों का हाइवे बनता जा रहा है। 373 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे पर राजस्थान के दौसा और अलवर जिलों में सबसे अधिक दुर्घटनाएं हो रही हैं।

Rajasthan News: हादसों का हॉटस्पॉट बना दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे, मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे, जिसे देश की आधारभूत संरचना का एक नायाब उदाहरण माना जाता था, अब हादसों के हाइवे के रूप में पहचान बना रहा है। 373 किलोमीटर लंबे इस 8-लेन एक्सप्रेस-वे का राजस्थान के सात जिलों से होकर गुजरना कई लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है, खासतौर पर दौसा और अलवर जिलों में। यहां आए दिन सड़क हादसे होते हैं, जिनमें कई बार लोगों की जान भी चली जाती है।

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प्रमुख सवाल यह है कि इतने आधुनिक और महंगे एक्सप्रेस-वे पर हादसों की संख्या इतनी ज्यादा क्यों है? एक्सपर्ट्स की मानें तो एक्सप्रेस-वे पर कई जगहों पर बने एनीमल पास और अंडरपास दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। कई अंडरपास घुमावदार स्थानों पर बने हैं, और जब वाहन 120 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार पर इन स्थानों से गुजरते हैं, तो उनके संतुलन बिगड़ने की संभावना काफी बढ़ जाती है।

क्या है इन हादसों का कारण

तेज रफ्तार इस एक्सप्रेस-वे पर हादसों का सबसे बड़ा कारण बन गई है। कई वाहन चालक स्पीड लिमिट को नज़रअंदाज़ कर 120 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की गति से गाड़ी चला रहे हैं, जो दुर्घटनाओं को न्यौता देता है। कई बार तेज रफ्तार पर ओवरटेकिंग की कोशिश भी हादसों का कारण बनती है।

एक स्टडी में खुलासा हुआ कि मई और जून के महीनों में इस एक्सप्रेस-वे पर सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं हुईं। इनमें टायर फटने के मामलों की संख्या सबसे ज्यादा है। अलवर और दौसा क्षेत्र में सड़क की ऊंचाई-नीचाई और गड्ढों के कारण वाहन अक्सर संतुलन खो देते हैं, जिससे हादसे होते हैं।

वायरल हुआ था घटना का वीडियो

गौरतलब है कि अलवर में एक तेज रफ्तार गाड़ी के हवा में उछलने का वीडियो भी वायरल हुआ था, जो एक्सप्रेस-वे की खराब बैलेंसिंग की वजह से हुआ। इस घटना ने एक्सप्रेस-वे की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए।

इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की लागत से हुआ था और इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 फरवरी 2023 को किया था। इसे देश की आधारभूत संरचना का उत्कृष्ट उदाहरण बताया गया था, लेकिन कुछ ही महीनों में हुई बारिश ने इसके निर्माण की कमियों को उजागर कर दिया।