Rajasthan By-Election: आदिवासी वोटरों को साधने में जुटे नरेश मीणा, बीएपी का समर्थन बना गेम चेंजर?
राजस्थान उपचुनावों में देवली उनियारा सीट पर मुकाबला रोचक होता जा रहा है। कांग्रेस से बागी हुए नरेश मीणा को भारतीय आदिवासी पार्टी का समर्थन मिल गया है। क्या यह समर्थन कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है?
राजस्थान में सात सीटों पर होने वाले उपचुनावों में समीकरण दिन पर दिन रोचक होते जा रहे हैं। बीते दिनों कांग्रेस से टिकट न मिलने पर देवली उनियारा सीट से नरेश मीणा ने बागी तेवर अपना लिये थे और अकेले चुनाव में लड़ने का फैसला लिया। उस वक्त तो कांग्रेस ने उनपर ध्यान नहीं दिया लेकिन मीणा की जनसभा में उमड़ती भीड़ ने कांग्रेस के साथ बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है। नरेश मीणा को हनुमान बेनीवाल, रवींद्र भाटी का समर्थन मिल चुका है। इस बीच राजकुमार रोत की पार्टी भारतीय आदिवासी ने भी नरेश मीणा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। बीएपी प्रवक्ता जितेंद्र मीणा ने एक्स पर इसकी जानकारी दी है की नरेश मीणा को उपचुनावों में बीएपी अपना समर्थन देगी।
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पत्र जारी कर बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन
चाहे बेनीवाल हो या फिर राजकुमार रोत। दोनों ही नेता राजस्थान में अपनी अलग पहचान रखते हैं। ऐसे में सोशल मीडिया से निकलकर अगर वे देवली उनियारा सीट पर प्रचार करते हैं तो नरेश मीणा कांग्रेस को पटकनी दे सकते हैं। इससे इतर बेनीवाल और रवींद्र भाटी के बाद हर किसी की नजरें राजकुमार रोत पर टिकी थीं क्या वह नरेशी मीण को समर्थन देंगे या नहीं हालांकि अब सस्पेंस खत्म हो गया और बीएपी ने लेटर जारी कर समर्थन देने क ऐलान किया है।
देवली उनियारा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला
बता दें, देवली उनियार सीट कांग्रेस के खाते में थी। यहां से हरीणा मीणा विधायक थे लेकिन सांसद बन जाने के बाद उन्होंने विधायकी से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस ने इस सीट पर किसी दिग्गज नेता नहीं बल्कि नये चेहरे कस्तूर मीणा को मैदान में उतारा है। नरेश मीणा को टिकट का बड़ा दावेदार माना जा रहा था, हालांकि पार्टी ने उनका टिकट काट दिया। जिसके बाद नरेश मीणा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। वह कांग्रेस के गुर्जर और मीणा वोटों में सेंधमारी करने की फिराक में है। हनुमान बेनीवाल और राजकुमार रोत के समर्थन के बाद वह आदिवासी मतदताओं का ध्यान खींच सकते हैं। जो कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है। बता दें, कांग्रेस ने भी समकरणों को देखते हुए मीणा समाज का प्रत्याशी मैदान में उतारा है। ऐसे में वोटों का बिखराव कांग्रेस का गेम बिगाड़ सकता है।