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राजस्थान में दिगज्जों की साख दांव पर,क्या होगा दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों का, रिजल्ट 4 जून को

राजस्थान में चुनावी माहौल गर्म है ऐसे में प्रचार भी तेजी से हो रहा है कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ही पार्टियों के दिग्गज नेताओं की साख दांव पर है। राजस्थान के दो पूर्व मुख्यमंत्री उन्ही नेताओं में से एक हैं। एक तरफ पूर्व सीएम अशोक गहलोत तो दूसरी तरफ पूर्व मुख्मंत्री वसुंधरा राजे दोनों के बेटे इस बार चुनाव मैदान में हैं।अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत जालौर सीट से मैदान में हैं तो वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह झालावाड़ की सीट से चुनाव लड़ रहे हैं ऐसे में दोनों पूर्व सीएम अपने-अपने बेटों के लिए प्रचार में ही जुटे हुए हैं

राजस्थान में दिगज्जों की साख दांव पर,क्या होगा दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों का, रिजल्ट 4 जून को

राजस्थान में चुनावी माहौल गर्म है ऐसे में प्रचार भी तेजी से हो रहा है कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ही पार्टियों के दिग्गज नेताओं की साख दांव पर है। राजस्थान के दो पूर्व मुख्यमंत्री उन्ही नेताओं में से एक हैं। एक तरफ पूर्व सीएम अशोक गहलोत तो दूसरी तरफ पूर्व मुख्मंत्री वसुंधरा राजे दोनों के बेटे इस बार चुनाव मैदान में हैं।अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत जालौर सीट से मैदान में हैं तो वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह झालावाड़ की सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में दोनों पूर्व सीएम अपने-अपने बेटों के लिए प्रचार में ही जुटे हुए हैं।

कांग्रेस लाएगी ज्यादा सीट या बीजेपी लगाएगी हैट्रिक

लोकसभा चुनाव के रण में कांग्रेस और बीजेपी दोनों दूसरे चरण के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। एक तरफ बीजेपी लगातार तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगाने की बात कह रही है तो कांग्रेस खाता खोलकर बीजेपी से ज्यादा सीट हांसिल करने का दावा कर रही है। राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा इस बार दांव पर है इन सबके बीच राजस्थान के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की चर्चा है जो अपने अपने बेटों को चुनाव जिताने में लगे हुए है, जोरों पर है।

राजस्थान में दिग्गजों की साख दांव पर

राजस्थान के दो पूर्व मुख्यमंत्री अपने-अपने बेटों को चुनाव जिताने में लगे हुए हैं। राजस्थान में बीजेपी की दिग्गज नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे इस लोकसभा चुनाव में झालावाड़ तक सिमित हो गई हैं।लोकसभा चुनाव में बीजेपी की स्टार प्रचारक होने के बावजूद वसुंधरा राजे किसी दूसरी लोकसभा सीट पर प्रचार करने नहीं गई हैं और बेटे दुष्यंत सिंह के प्रचार में जुटी हुई हैं।

कांग्रेस बना रही आंतरिक कलह का मुद्दा

यही नहीं सिर्फ नामांकन में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा झालावाड़ आए थे। इसके बाद बीजेपी का कोई भी बड़ा नेता झालावाड़ में प्रचार के लिए नहीं आया है। अब इस पूरे मामले को कांग्रेस ने मुद्दा बनाकर इसे बीजेपी में आंतरिक कलह का नतीजा बता रही है।

अशोक गहलोत का फोकस बेटे की सीट पर

उधर लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बेटे वैभव गहलोत के लिए जालौर में प्रचार करना शुरू कर दिया था। वैभव गहलोत का ये दूसरा लोकसभा चुनाव है, इससे पहले 2019 में गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ वैभव गहलोत जोधपुर में चुनाव हार चुके है। लिहाजा इस बार अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा इस चुनाव से जुड़ी हुई थी इसीलिए लोकसभा सीट बदलकर अशोक गहलोत ने अपने बेटे के लिए जालौर-सिरोही लोकसभा सीट चुनी।

अशोक गहलोत का ज्यादातर फोकस जालौर-सिरोही सीट पर ही है।गहलोत दूसरी जगह चुनाव प्रचार के लिए जा रहे है, लेकिन फिलहाल उनके लिए मुख्य केंद्र बिंदु बेटे की सियासत का बना हुआ है। यही नहीं अशोक गहलोत बेटे के चुनाव प्रचार के लिए मुंबई, चेन्नई से लेकर बेंगलुरु तक के दौरे कर चुके हैं, जहां प्रवासी वोटर्स रहते हैं। ये चुनाव अशोक गहलोत के बेटे वैभव का राजनीतिक भविष्य तय करेगा साथ ही अशोक गहलोत की साख पर लोग कितना विश्वास करते है ये भी तय होगा।