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राजस्थान के एक गांव में 200 साल पुरानी परंपरा है अजीब, खेत में जलता है ग्रामीणों का चूल्हा...

राजस्थान के धौलपुर में एक ऐसा गांव है, जहां की कहानी सुनकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे।जी हां बात ही कुछ ऐसी है, बता दे जिस गांव की हम बात कर रहे हैं वहां लोग एक दिन घर की रसोई में खाना नहीं बनाते हैं

राजस्थान के एक गांव में 200 साल पुरानी परंपरा है अजीब, खेत में जलता है ग्रामीणों का चूल्हा...

राजस्थान के धौलपुर में एक ऐसा गांव है, जहां की कहानी सुनकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे।जी हां बात ही कुछ ऐसी है, बता दे जिस गांव की हम बात कर रहे हैं वहां लोग एक दिन घर की रसोई में खाना नहीं बनाते हैं। इसके लिए गांव वाले घर से बाहर खेत में जाते हैं, वहां सभी सामान ले जाकर चूल्हा जलाकर खाना बनाते हैं। गांव में यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। गांव वालों को भरोसा है कि ऐसा करने से वह किसी भी तरह की आपदा से सुरक्षित रहेंगे।

युवा वर्ग भी लेता है बढ़ चढ़कर हिस्सा

लुहरी गांव में इस रीति-रिवाज को आगे बढ़ाने के लिए गांव के युवा वर्ग भी इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। गांव के सभी परिवार इस भीषण गर्मी की धूप में खेतों में जाकर खीर-पूड़ी, हलवा बनाते हैं और सभी मिलकर खाते हैं। गांव वाले इसके लिए पूजा करते हैं और बाद में खेतों में बनाए गए भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। गांव की ओर से किए गए इस आयोजन में गांव से बाहर के लोग भी शामिल होते हैं। 200साल पुरानी मान्यता को गांव में आए एक बाबा के कारण माना जाता हैं।

भीषण गर्मी में होता है एक दिन का अननुष्ठान

चिलचिलाती धूप में भी यह आस्था सालों से बने रहने के पीछे गांव वालों का भरोसा है। ऐसी मान्यता है कि गांव में 200 साल पहले एक बाबा आए थे। बाबा ने कहा था कि अगर गांव के सभी लोग एक दिन अपनी रसोई से बाहर खाना बनाकर सभी जरूरत मंद को खाना खिलाएंगे तो यह गांव सभी तरह की प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रहेगा। गांव वाले वैशाख महीने के अंतिम सोमवार को घरों से बाहर निकलकर इस परंपरा को आगे बढ़ाते हैं।

अनुष्ठान के कारण नहीं आती कोई आपदा

गांव के बुजुर्गों का दावा है कि कोरोना के समय भी यह गांव सुरक्षित रहा।गांव में सिर्फ 8-10 लोग ही कोरोना से संक्रमित हुए। यह सभी कुछ ही दिनों में पूरी तरह ठीक हो गए थे। गांव वालों का भरोसा है कि बाबा की बात मानने से गांव ओलावृष्टि से भी सुरक्षित रहता है।