Prayagraj News: डॉन उदयभान करवरिया की पत्नी का निधन, विरासत बचाने के लिए ऐसा रखा राजनीति में कदम, पढ़ें एक क्लिक में
पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की पत्नी नीलम करवरिया का हैदराबाद में निधन हो गया। बीते कई दिनों से उनकी तबियत खराब चल रही थी। उन्होंने अपने पति के जेल जाने पर परिवार की कमान संभाली थी।
भाजपा के पूर्व विधयक उदयभान करवरिया की पत्नी नीलम करवरिया का निधन हो गया है। उन्होंने हैदराबाद में अंतिम सांस ली। जानकारी के अनुसार, बीते कई दिनों से नीलम की तबियत खराब चल रही थी,जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था हालांकि, बीती रात उनका निधन हो गया।
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पति के जेल जाने पर संभाली कमान
नीलम करवरिया ने राजनीतिक पारी की शुरुआत तब की जब पति उदयभान कवरिया उम्रकैद की सजा काट कर रहे थे। उस वक्त नीलम ने परिवार के समाज की जिम्मेदारी संभाली और मेजा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। जनता ने उन्हें चुनते हुए विधायक बना दिया, ठीक इससे पहले उनके पति उदयभन बारा सीट से दो बार विधायक रह चुके थे,उनके जेल जाने पर करवरिया परिवार पर राजनीतिक संकट के बादल मंडराने लगे, इस परेशानी को खत्म करते हुए नीलम करवरिया ने कमान हाथों में ली और परिवार की राजनीतिक विरासत कायम रखी।
आखिर कौन है उदयभान करवरिया ?
बता दें, बीजेपी से पूर्व विधायक रहे उदयभान करवरिया का नाम उस वक्त चर्चा में आया था, जब राज्यपाल ने उनके आजीवान कारावास को माफ कर दिया था। वह 28 साल पहले हुए जवाहर पंडित हत्याकांड में सजा काट रहे थे। उनकी रिहाई पर सियासी संग्राम भी मचा था। बहरहाल, कौशांबी -प्रयागराज में करवरिया को दबंगई और पावर के लिए जाना जाता था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बालू ठेके पर हमेशा करवरिया परिवार का वर्चस्व रहता था। उदयभान करवरिया ने 2002 में इलाहाबाद की बारा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और पहली बार विधायक बने। इसके बाद, 2007 में भी उन्होंने बारा से जीत दर्ज की और दोबारा विधायक बने। उनके बुरे दिन तब शुरू हुए जब 1996 में झूंसी से सपा विधायक रहे जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित, ड्राइवर और एक राहगीर की AK-47 से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। ऐसा प्रयागराज में पहली बार था जब AK-47 का इस्तेमाल हुआ था। इस हत्याकांड में उदयभान के परिवार का नाम सामने आया हालांकि वह पावर के चलते जेल जाने से बचते रहे, लेकिन जब 2012 में यूपी में सपा सरकार आई तो उनपर शिकंजा कसा अंत मं उदयभान ने सरेंडर कर दिया। 4 नवंबर 2019 को कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
भारत रफ्तार के लिए प्रयागराज से दीपक शुक्ला की रिपोर्ट