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जयंत-भाजपा संग का बागपत में कैसा असर? बागपत सीट पर बसपा ने खेला गुर्जर कार्ड

पहले चरण के लिए 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 102 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है नितिन गडकरी, चिराग पासवान और जितिन प्रसाद जैसे दिग्गज नेताओं की किस्मत का फैसला ईवीएम  में कैद हो चुका हैअब बारी है दूसरे चरण की, दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होना हैइस चरण में यूपी की 8 सीटों पर चुनाव होना हैजिनमें से बागपत लोकसभा सीट चर्चाओं में हैआरएलडी और बीजेपी गठबंधन के बाद से यहां समीकरण पूरी तरह से बदल चुके हैं

जयंत-भाजपा संग का बागपत में कैसा असर? बागपत सीट पर बसपा ने खेला गुर्जर कार्ड

पहले चरण के लिए 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 102 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है। नितिन गडकरी, चिराग पासवान और जितिन प्रसाद जैसे दिग्गज नेताओं की किस्मत का फैसला ईवीएम  में कैद हो चुका है। अब बारी है दूसरे चरण की, दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होना है।इस चरण में यूपी की 8 सीटों पर चुनाव होना है। जिनमें से बागपत लोकसभा सीट चर्चाओं में है। आरएलडी और बीजेपी गठबंधन के बाद से यहां समीकरण पूरी तरह से बदल चुके हैं।

बागपत लोकसभा सीट पर जंग

बागपत लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन की तरफ से समाजवादी पार्टी ने अमरपाल शर्मा को मैदान में उतारा है। जबकि एनडीए में ये सीट राष्ट्रीय लोक दल के खाते में गई है। आरएलडी ने राजकुमार सांगवान को उम्मीदवार बनाया है। बहुजन समाज पार्टी ने प्रवीण बैंसला को मैदान में उतारा है।

कैसा हैं यहां का चुनावी समीकरण?

बागपत सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें हैं। मेरठ जिले की सिवालखास और गाजियाबाद जिले की मोदीनगर विधानसभा सीट। बागपत जिले की बड़ौत, बागपत और छपरौली विधानसभा सीट। 2022 के विधानसभा चुनाव में 2 सीटों पर RLD और 3 सीटों पर BJP को जीत मिली थी। लोकसभा चुनाव में अब तक BSP और सपा को एक बार भी जीत नहीं मिली है। पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह के परिवार का गढ़ कहा जाता है। पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह के परिवार के सदस्य, 9 बार सांसद चुने गए हैं।

चुनाव से पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव से हाथ छुड़ाकर भाजपा खेमे में शामिल हुए रालोद प्रमुख जयंत चौधरी। 2019 के चुनाव में खुद इस सीट से सपा-बसपा-रालोद के संयुक्त उम्मीदवार थे। इस बार भाजपा ने यह सीट लड़ने के लिए उन्हीं की झोली में डाल दी है, तो उन्होंने डॉ. राजकुमार सांगवान पर दांव लगा दिया है। जाट समाज से आने वाले डॉ. सांगवान ने सोमवार को अपना पर्चा भरा। इस गठबंधन से कितना सहज है, जाट और मुस्लिम वोटर जिसे अभी तक राष्ट्रीय लोकदल का समर्थक माना जाता रहा है।

चौधरी परिवार का दबदबा

बागपत लोकसभा सीट पर चौधरी परिवार का दबदबा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह इस सीट से 3 बार सांसद चुने जा चुके हैं। उन्होंने साल 1977 में पहली बार जीत दर्ज की थी। उसके बाद उन्होंने लगातार साल 1980 और साल 1984 आम चुनाव में भी जीत हासिल की। चौधरी चरण सिंह के बेटे अजित सिंह बागपत लोकसभा सीट से 6 बार सांसद चुने गए थे।चौधरी अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी ने भी इस सीट से किस्मत आजमाई थी, लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा।

क्या है जातीय समीकरण?

बागपत लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम और जाट वोटर्स की बहुलता है। इस सीट पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या 3.5 लाख है। जबकि जाट वोटर्स की संख्या 4 लाख के करीब है। इसके अलावा दलित वोटर्स की संख्या डेढ़ लाख है। इस सीट पर 50 हजार यादव वोटर हैं। बागपत में राजपूत और गुर्जर वोटर्स की संख्या भी एक लाख से ऊपर है। इसके अलावा त्यागी समुदाय के 50 हजार मतदाता हैं। इस सीट पर ओबीसी वोटर्स की संख्या भी अच्छी-खासी है।

बागपत लोकसभा सीट पर चौधरी चरण सिंह की फैमिली का दबदबा रहा है। इस परिवार के सदस्य 9 बार सांसद चुने जा चुके हैं। चौधरी चरण सिंह इस सीट से 3 बार सांसद बने। जबकि उनके बेटे चौधरी अजित सिंह 6 बार सांसद चुने गए। इस सीट पर अब तक बीएसपी और समाजवादी पार्टी को एक बार भी जीत नहीं मिली है।