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बदलापुर यौन शोषण मामले पर राहुल गांधी का बड़ा बयान, अपराध छिपाने के लिए और...

बदलापुर में दो मासूम बच्चियों के साथ हुए अपराध के बाद उन्हें न्याय दिलाने के लिए पहला कदम तब तक नहीं उठाया गया जब तक कि जनता न्याय की मांग करते हुए सड़कों पर नहीं उतर आई।

बदलापुर यौन शोषण मामले पर राहुल गांधी का बड़ा बयान, अपराध छिपाने के लिए और...

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले में पुलिस की निष्क्रियता की आलोचना करते हुए कहा कि न्याय दिलाने की अपेक्षा अपराध को छिपाने के अधिक प्रयास किए गए।

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राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, "बदलापुर में दो मासूम बच्चियों के साथ हुए अपराध के बाद उन्हें न्याय दिलाने के लिए पहला कदम तब तक नहीं उठाया गया जब तक कि जनता न्याय की मांग करते हुए सड़कों पर नहीं उतर आई। क्या अब हमें एफआईआर दर्ज करने के लिए भी प्रदर्शन करना पड़ेगा? पीड़ितों के लिए पुलिस स्टेशन जाना भी इतना मुश्किल क्यों हो गया है?"

उन्होंने कहा, "न्याय दिलाने की अपेक्षा अपराध को छिपाने का अधिक प्रयास किया जाता है, जिसका सबसे बड़ा शिकार महिलाएं और कमजोर वर्ग के लोग होते हैं।"

क्या था मामला ?
लोकसभा में विपक्ष के नेता की यह प्रतिक्रिया महाराष्ट्र के ठाणे जिले के बदलापुर में दो किंडरगार्टन की लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटना पर आक्रोश के बीच आई है। पुलिस ने एक लड़की के परिवार द्वारा शिकायत दर्ज कराने के 12 घंटे बाद ही एफआईआर दर्ज कर ली। विपक्ष ने पुलिस कार्रवाई में देरी को लेकर महाराष्ट्र की महायुति सरकार की आलोचना की।

राहुल गांधी ने आगे कहा कि एफआईआर दर्ज न करने से न केवल पीड़ितों का हौसला बढ़ता है, बल्कि अपराधियों का हौसला भी बढ़ता है।

कोलकाता रेप केस का भी जिक्र
उन्होंने कोलकाता के एक अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और बिहार में "बेटियों के खिलाफ शर्मनाक अपराध" की घटनाओं का भी जिक्र किया।

राहुल गांधी ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार के बाद महाराष्ट्र में भी बेटियों के खिलाफ शर्मनाक अपराध हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि एक समाज के तौर पर हम कहां जा रहे हैं?’’

उन्होंने कहा कि सभी सरकारों, नागरिकों और राजनीतिक दलों को इस बात पर मंथन करना होगा कि समाज में महिलाओं को सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराने के लिए क्या कदम उठाए जाएं।

राहुल गांधी ने कहा, "न्याय हर नागरिक का अधिकार है; उसे पुलिस और प्रशासन की इच्छा पर निर्भर नहीं बनाया जा सकता।