Churu News: ऐसे कैसे पढ़ेगा "इंडिया", उच्च प्राथमिक विद्यालय चल रहा एक टीचर के भरोसे
कक्षा एक से आठ तक संचालित इस स्कूल में एससी, ओबीसी और जनरल कैटेगरी के विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। वहीं स्कूल को 2021 में पाँचवी से आठवीं में क्रमोन्नत किया गया था, तभी से स्कूल में अध्यापकों की कमी यहाँ के विद्यार्थीयों और उनके परिजनों को खलती आ रही है।
पूरे राजस्थान में अध्यापकों की कमी अब विद्यार्थियों के लिए कोढ़ में खाज का काम करने लगी है।या यूँ कहें की टीचर्स के अभाव में शिक्षा विभाग अब राम भरोसे ही चल रहा है। चूरू ज़िले की रतनगढ़ विधानसभा क्षेत्र के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, गुंसाईधोरा की जिसमें लगभग 100 के करीब विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, लेकिन इन विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए एकमात्र अध्यापिका लगाई गई है, जिसके चलते स्कूल में अध्ययनरत विद्यार्थियों की पढ़ाई पर विपरित असर पड़ता दिखाई दे रहा है।
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विद्यार्थियों को खल रही अध्यापकों की कमी
बता दें की कक्षा एक से आठ तक संचालित इस स्कूल में एससी, ओबीसी और जनरल कैटेगरी के विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। वहीं स्कूल को 2021 में पाँचवी से आठवीं में क्रमोन्नत किया गया था, तभी से स्कूल में अध्यापकों की कमी यहाँ के विद्यार्थीयों और उनके परिजनों को खलती आ रही है।
कई बार शिक्षा विभाग को पत्र लिख चुके हैं पार्षद
आलम यह है कि इस संबंध में स्कूल प्रशासन और वार्ड पार्षद पुरूषोत्तम इंदौरिया शिक्षा विभाग को कई बार लिखित में भी अवगत करवा चुके हैं, लेकिन नतीजा सिफर रहा और आज भी समस्या ज्यों-कि-त्यों बनी हुई है।
हालांकि इस स्कूल में कई बार शिक्षा विभाग प्रतिनियुक्ति पर अध्यापकों को लगाकर अध्यापन कार्य करवाती है, लेकिन यह व्यवस्था भी दो दिन पहले एक टीचर को खानापूर्ति करने के लिए लगाया गया है लेकिन व्यवस्था पर्याप्त नहीं है ऐसी स्थिति में आठ कक्षाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों को पढ़ा पाना मुश्किल हो रहा है या यूँ कहें की पूरी तरह से पढ़ाई चौपट हो चुकी है।
एक अध्यापक को प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया
कार्यवाहक प्रधानाध्यापिका सोनी ने बताया कि दो दिन पूर्व एक अध्यापक को प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है, लेकिन फिर भी अंग्रेजी, गणित, विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों के अध्यापक नहीं होने के कारण विद्यार्थियों के अध्ययन कार्य पर विपरित असर पड़ रहा है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि शिक्षा विभाग के पास अगर व्यवस्थाएं नहीं हैं तो स्कूलों को बंद कर देना चाहिए या फिर गेस्ट फेकल्टी और विद्यार्थी मित्र जैसी व्यवस्थाएं कर बच्चों के शिक्षण कार्य को व्यवस्थित करना चाहिए । जिससे न केवल पढ़े-लिखे युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार मुहैया हो बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी न हो।
रिपोर्ट- कौशल शर्मा