Jhalawar News: उम्मीद की टिमटिमाती लौ, बुझेगी या बढ़ेगी? निजीकरण की आंच में झुलसेंगे घर? जलते दीप, सुलगते सवाल
राजस्थान सरकार द्वारा संचालित विद्युत उत्पादन केंद्रों में निजीकरण और संयुक्त उद्यम के विरोध में, कालीसिंध थर्मल के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अनोखे ढंग से अपनी आवाज बुलंद की।
झालावाड़। मंगलवार शाम ढलते ही कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट की कॉलोनी एक अलग ही रंग में रंग गई। हाथों में जलते दीपक लिए, सैकड़ों कर्मचारी और उनके परिवारजन, एक मौन जुलूस की शक्ल में कॉलोनी की गलियों से गुजर रहे थे। ये कोई उत्सव नहीं, बल्कि सरकार के उस फैसले के विरोध की आवाज़ थी जो उनके भविष्य को अंधेरे में धकेल सकता है।
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अंधेरे में धकेला जा रहा भविष्य?
राजस्थान सरकार द्वारा संचालित विद्युत उत्पादन केंद्रों में निजीकरण और संयुक्त उद्यम के विरोध में, कालीसिंध थर्मल के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अनोखे ढंग से अपनी आवाज बुलंद की। कैंडल मार्च के जरिए उन्होंने सरकार तक अपनी चिंता और विरोध का संदेश पहुंचाने की कोशिश की। इस मौन प्रदर्शन में महिलाओं और बच्चों की मौजूदगी ने सरकार को ये सोचने पर मजबूर कर दिया होगा कि उनका फैसला न जाने कितने परिवारों के भविष्य पर असर डाल सकता है।
जलते दीप, सुलगते सवाल
कर्मचारियों का कहना है कि निजीकरण से न सिर्फ उनकी नौकरियां खतरे में पड़ेंगी, बल्कि बिजली की कीमतें भी बढ़ जाएंगी जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वे इस फैसले पर पुनर्विचार करे और कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखे।
उम्मीद की टिमटिमाती लौ
कॉलोनी के मुख्य द्वार पर राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RVUNL) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कैंडल मार्च का समापन हुआ। ये कैंडल मार्च केवल एक विरोध प्रदर्शन नहीं था, बल्कि उनके हक और अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक था, एक उम्मीद की किरण थी कि उनकी आवाज सरकार तक पहुंचेगी और उनके भविष्य को उज्जवल बनाने में मदद मिलेगी।
रिपोर्ट – अनीश आलम