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Rajasthan By-Election: पायलट-किरोड़ीलाल मीणा को साइडलाइन करने की कोशिश में रोत?

राजस्थान के सात सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजों का इंतजार! बीजेपी और कांग्रेस के अलावा भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने भी मज़बूत चुनौती पेश की है। 

Rajasthan By-Election: पायलट-किरोड़ीलाल मीणा को साइडलाइन करने की कोशिश में रोत?

खबर राजस्थान से है। जहां सात सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद अह हर किसी को नतीजों का इंतजार है। महाराष्ट्र-झारखंड विधानसभा चुनावों की गिनती वाले दिन उपचुनाव के नतीजे भी घोषित किये जाएंगे। बीजेपी-कांग्रेस ने इस बार उपचुनाव में कोई भी खतरा मोल न लेते हुए फूंक-फूंक के कदम रखा है बावजूद इसके कई सीटें ऐसी हैं। जहां पर मामला फंसा हुआ है। कांग्रेस-बीजेपी तो एक तरफ हैं लेकिन ये चुनाव राजकुमार रोत, आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है। बीएपी ने सलूंबर और चौरासी सीट पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं जबकि बेनीवाल ने खींवसर से पत्नी कनिका बेनीवाल को प्रत्याशी बनाया है।

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सलूंबर-चौरासी सीट पर टिकी निगाहें

सात सीटों में भारतीय आदिवासी पार्टी द्वारा चुनाव लड़े जा रहे सलूंबर-चौरासी सीट का रिजल्ट जानने के लिए हर कोई उत्साहित है। शुरुआत से कहा जा रहा था बीएपी यहां पर कांग्रेस-बीजेपी का खेल बिगाड़ सकती है। अगर ऐसा होता है तो राजस्थान में दोनों प्रमुख दलों े बाद बीएपी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। वहीं, पार्टी का जनाधर बढ़ाने की कोशिश राजकुमार रोत लगातार कर रहे हैं। उन्होंने बीएपी के पचांयती चुनाव में उतरने की घोषण की है। साथ ही पूर्वी राजस्थान में पार्टी अपना प्रचार-प्रसार करेगी। इतना ही नहीं बीएपी जल्द जयपुर में अपना मुख्यालय खोलने वाली है। 

किरोड़ीलाल मीणा-सचिन पालयट को चुनौती !

राजकुमार रोत का मानना है अब बीएपी को पूर्वी राजस्थान में सक्रिय होना चाहिए। यहां पर आदिवासी जनसंख्या अच्छी-खासी है। इसलिए आगामी चुनावों में उनके सेंटर में पूर्वी राजस्थान रहेगा हालांकि उनकी ये राह बिल्कुल भी आसान नहीं होने वाली है। पूर्वी राजस्थान से सचिन पायलट और किरोड़ीलाल मीणा आते हैं। खैर तो वक्त के साथ पता चलेगा हाल फिलहाल बीएपी ने अपने प्रदर्शन से सियासी पंडितों को हैरान कर दिया है। भारतीय आदिवासी पार्टी की स्थापना पिछले साल सितंबर महीने में हुई थी। इस वक्त विधानसभा में बीएपी के तीन विधायक हैं जबकि राजकुमार रोत खुद सांसद है। राजकुमार प्रदेश पार्टी बनकर नहीं रहना चाहते हैं वह राजस्थान से बाहर भी पार्टी का जनाधार बढ़ा रहे हैं। बीएपी, झारखंड, गुजरात और एमपी में भी चुनाव लड़ चुकी है।