एक स्त्री का दर्द, एक प्रथा का स्याह सच ! क्यों बरी हुए सती कांड के आरोपी ? पढ़ें पूरी खबर
राजस्थान के कंवर सती महिमामंडन केस में 37 साल बाद कोर्ट ने 8 आरोपियों को बरी कर दिया है। जानिए इस मामले की पूरी कहानी, सती प्रथा और उसके खिलाफ कानूनों के बारे में।
एक बार राजस्थान का कंवर सती महिमामंडन केस चर्चा में है। जहां जयपुर मेट्रो-द्वितीय की सती निवारण मामलों की विशेष अदालत ने 37 सालों बाद फैसला सुनाते हुए 8 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों पर लगे आरोपों को साबित में असफल रहा,जिस वजह से महेंद्र सिंह, दशरथ सिंह, श्रवण सिंह, निहाल सिंह, उदय सिंह सहित 8 लोगों को बरी किया जाता है। बता दें, 1988 में घटित हुई इस घटना ने लोगों को हिलाकर रख दिया था। जब 18 साल की कंवर अपने पति के शव के साथ सती हो गई थी। मामले लंबे वक्त से कोर्ट में था लेकिन पर्याप्त साक्ष्य न होने से लगातार मामला कमजोर होता गया।
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पुलिस रिपोर्ट में नहीं हुआ घटना जिक्र
वहीं, कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद आरोपियों को बरी करना का फैसला सुनाया है। दरअसल, पुलिस जांच में कंवर के सती होने की घटना का कोई पुख्ता प्रमाण अदालत के सामने नहीं पेश कर सकती। कोर्ट ने कहा कि सती महिमामंडन का आरोप साबित करने के लिए यह जरूरी है कि सती होने की घटना पहले प्रमाणित हो। हालांकि, इस पूरे मामले ने राजस्थान में सती प्रथा और उसके महिमामंडन पर गहन बहस छेड़ दी थी। कई सामाजिक संगठनों ने इस प्रथा के खिलाफ कड़े कानूनों की मांग की थी।
45 लोगों की हुई गिरफ्तारी
सती प्रथा देशे में समाप्त हो चुकी थी लकिन 1987 में राजस्थान में हुई इसे घटना की गूंज विदेश तक सुनाई दी ती। जहां जयपुर की रहने वाली कंवर की शादी सीकर के मालसिंह की हुई थी। शादी को सात महीने ही हुए थी कि पति की बीमारी के मौत हो गई। आरोप था कि सती को जबरदस्ती सती प्रथा के लिए मजबूर किया गया था। वहीं, 1988 में समाज के लोगों ने रूप कंवर के महिमामंडन के लिए एक जुलूस निकाला, जिसमें 45 लोगों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि आरोपियों में से 25 लोगों को 2004 में अदालत ने बरी कर दिया था, क्योंकि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि उन्होंने सती महिमामंडन किया था। इस मामले में 6 आरोपी अब भी फरार हैं, जबकि 6 की मौत हो चुकी है।
राज्य में लाया गया सती प्रथा कानून
बता दें, एक वक्त था जब सती प्रथा का पालन हर महिला करती थी लेकिन समय के साथ ये परंपरा बदलती गई,आजादी के बाद से राज्य में सती होने के लगभग 29 मामले दर्ज किये गए लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में रुप कंवर मामला रहा। बात इतनी बढ़ी की सरकार को कानून लाड़ा पड़ और ती प्रथा पर कानूनी रूप से कड़ा नियंत्रण लगाया गया। सती निवारण अधिनियम के तहत सती होने और उसके महिमामंडन को रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं।